सर्दी का मौसम विदा हो रहा है और बसंत खिलने को तैयार है, लेकिन एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह बदलाव खुशियां कम, परेशानियां ज्यादा लेकर आता है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है और प्रकृति खिलती है, पराग के दाने ( यह छोटे-छोटे हल्के दाने होते हैं जो फूलों के मेल पार्ट में बनते हैं) की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे छींक आना, नाक बंद होना और आंखों में खुजली जैसी कई समस्याएं होती हैं. यह वृद्धि खासकर उन लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती है, जिन्हें पेड़ों के पराग से एलर्जी होती है, जो शुरुआती बसंत के महीनों में चरम पर होता है.


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इन लक्षणों को प्रभावी ढंग से कंट्रोल करने के लिए स्थानीय पराग पूर्वानुमानों के बारे में जानकारी रखना महत्वपूर्ण है. पराग के चरम समय के दौरान, आमतौर पर सुबह और हवा वाले दिनों में बाहरी की एक्टिविटी को कम करने से खतरे को काफी कम किया जा सकता है. इसके अलावा, घर और कार में खिड़कियां बंद रखने से पराग को घर के अंदर घुसने से रोका जा सकता है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट
न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ.आकाश शाह बताते हैं कि इस बदलते मौसम के दौरान घर के अंदर हवा की गुणवत्ता बनाए रखना जरूरी है. हीटिंग और कूलिंग सिस्टम में एयर फिल्टर को नियमित रूप से साफ करना और बदलना घर के अंदर एलर्जी के प्रसार को कम कर सकता है. HEPA फिल्टर से लैस एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल हवा में मौजूद पराग को कम करने में और मदद करता है.


उपाय क्या?
पर्सनल देखभाल के संदर्भ में, अच्छी स्वच्छता की प्रैक्टिस करना (जैसे कि बाहर समय बिताने के बाद हाथ धोना और कपड़े बदलना) एलर्जी के फैलने को रोकने में मदद करता है. ओवर-द-काउंटर एंटीहिस्टामाइन और नाक के कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स लक्षणों से राहत दिल सकते हैं, लेकिन पर्सनल सलाह के लिए हेल्थ एक्सपर्ट से एडवाइस लेने की सलाह दी जाती है. सर्दी से बसंत के मौसम में सावधानी और सही देखभाल जरूरी है. स्थानीय वातावरण की जानकारी के साथ मिलकर रणनीतिक उपाय अपनाकर मौसमी एलर्जी के प्रभाव को कम किया जा सकता है.