डाइट और पोषण का महिलाओं के मेंस्ट्रुअल साइकिल पर गहरा असर होता है. यह न केवल पीरियड्स की टाइमिंग बल्कि फ्लो और पूरे मेंस्ट्रुअल हेल्थ को भी प्रभावित करता है.
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डाइट और पोषण का महिलाओं के मेंस्ट्रुअल साइकिल पर गहरा असर होता है. यह न केवल पीरियड्स की टाइमिंग बल्कि फ्लो और पूरे मेंस्ट्रुअल हेल्थ को भी प्रभावित करता है. सही खानपान से न केवल अनियमित पीरियड्स को मैनेज किया जा सकता है बल्कि दर्द को भी कम किया जा सकता है.
प्राइम आईवीएफ में फर्टिलिटी हेड डॉ. निशी सिंह ने बताया कि महिलाओं के मेंस्ट्रुअल साइकिल के लिए कैलोरी का बैलेंस बनाए रखना आवश्यक है. ज्यादा वजन घटाने या कैलोरी की कमी से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे पीरियड्स देर से आ सकते हैं या रुक सकते हैं. कम शरीर फैट वाली महिलाओं या ज्यादा डाइटिंग करने वालों में एस्ट्रोजेन का उत्पादन घट जाता है, जो ओव्यूलेशन के लिए आवश्यक है. दूसरी ओर, शरीर में ज्यादा फैट (विशेष रूप से पेट की चर्बी) एस्ट्रोजेन के लेवल को बढ़ा सकती है, जो मेंस्ट्रुअल साइकिल में बाधा डाल सकती है.
महत्वपूर्ण पोषक तत्व और हार्मोनल संतुलन
आयरन: पीरियड्स के दौरान रक्त की हानि से आयरन की कमी हो सकती है. पालक, लेग्यूम्स और रेड मीट का सेवन करने से एनीमिया रोका जा सकता है और नियमित चक्र बनाए रखा जा सकता है.
ओमेगा-3 फैटी एसिड: साल्मन और फ्लैक्ससीड्स जैसे फूड में पाए जाने वाले ये फैट सूजन को कम करने और पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद करते हैं.
विटामिन डी: इसकी कमी से अनियमित पीरियड्स और पीसीओएस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. धूप, फोर्टिफाइड डेयरी प्रोडक्ट्स और फैटी फिश से इसे पूरा किया जा सकता है.
मैग्नीशियम: यह ब्लड शुगर को बैलेंस करने और पीरियड्स से पहले के लक्षणों (PMS) को कम करने में मदद करते है.
कैफीन, चीनी और प्रोसेस्ड फूड
ज्यादा कैफीन और चीनी का सेवन हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जो पीरियड्स को अनियमित कर सकता है. प्रोसेस्ड फूड्स से बचना और हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.