ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी को माइग्रेन का सिरदर्द समझने की डॉक्टरों की लापरवाही ने एक 25 वर्षीय महिला की जिंदगी बदल दी.
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ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी को माइग्रेन का सिरदर्द समझने की डॉक्टरों की लापरवाही ने एक 25 वर्षीय महिला की जिंदगी बदल दी. इग्लैंड की रहने वाली टिया ब्रैडबरी जब पांच महीने की प्रग्नेंट थीं तो उनको लगातार सिरदर्द और आंखों में 'फ्लिकरिंग' जैसी समस्याएं हो रही थीं. लेकिन डॉक्टरों ने इसे मामूली माइग्रेन बताकर नजरअंदाज कर दिया. दिसंबर 2023 में शुरू हुई यह समस्या अप्रैल 2024 तक गंभीर हो गई, जब टिया अपनी बाईं आंख की रोशनी पूरी तरह से खो बैठीं. बावजूद इसके, डॉक्टर माइग्रेन की ही दवा देते रहे. आखिरकार, टिया ने बार-बार डॉक्टरों से गुहार लगाई और MRI स्कैन करवाने पर जोर दिया. जांच में पता चला कि उनके दिमाग में 3 सेंटीमीटर का ट्यूमर है, जो बाईं आंख की नस पर दबाव डाल रहा था.
डेली मेल की एक रिपोर्ट अनुसार, टिया ने बताया कि सिरदर्द इतना तेज था कि बिस्तर से उठना मुश्किल हो जाता था. डॉक्टरों ने मेरी बात को गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि मैं युवा थी. अगर मैंने खुद पर भरोसा न किया होता और डॉक्टरों से लड़ाई न लड़ी होती, तो शायद मैं आज जिंदा न होती. मई 2024 में 12 घंटे की सर्जरी के बाद टिया का ट्यूमर सफलतापूर्वक हटा दिया गया. इसके बाद उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गई और आज वह माइग्रेन और दर्द से पूरी तरह फ्री हैं.
टफ का सर्जरी का टाइम
हालांकि, सर्जरी का समय उनके लिए इमोशनल रूप से चुनौतीपूर्ण था. उनकी दो साल की बेटी ने उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में देखा और सर्जरी के बाद उन्हें छूने की भी इजाजत नहीं थी. टिया ने बताया कि सबसे डरावना यह था कि मुझे लगा मैं अपनी बेटी और परिवार को छोड़कर चली जाऊंगी. अब टिया दूसरों को सलाह देती हैं कि वे अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें और डॉक्टरों से अपनी बात मनवाने के लिए डटे रहें. उन्होंने कहा कि जीवन बहुत छोटा और अनमोल है. अपनी सेहत को लेकर सचेत रहें और जरूरत पड़ने पर दूसरी राय लेने से हिचकें नहीं.