Shalabhasana Benefits: टिड्डी से प्रेरित है ये योगासन, अभ्यास से मिलते हैं ये जबरदस्त लाभ
Locust Pose or Salabhasana: योग में ऐसे कई आसन हैं, जो विभिन्न जानवरों व पक्षियों पर आधारित हैं. आइए जानते हैं ये योगासन कौन-सा है.
Locust Pose: योग में कई आसन ऐसे हैं, जो विभिन्न जानवरों की आकृतियों के जैसे दिखते हैं. इन्हीं आकृतियों के आधार पर इनके नाम भी दिए गए हैं. भुजंगासन, मकरासन, मत्स्यासन जैसे कुछ योगासन इसके सटीक उदाहरण हैं. लेकिन इस आर्टिकल में आपको ऐसे योगासन के बारे में पता लगेगा, जो कि टिड्डियों की आकृति जैसा दिखता है. इसीलिए इस योगासन का नाम शलभासन (Shalabhasana or Salabhasana) रखा गया है. आइए शलभासन करने की सही विधि और फायदे जानते हैं.
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Locust Pose Steps: शलभासन कैसे करें (How to do Shalabhasana)
शलभासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर योगा मैट या दरी बिछा लें.
अब पेट के बल इस पर लेट जाएं और अपने शरीर को सीधा और ढीला छोड़ दें.
अब सांस अंदर लेते हुए दोनों पैरों को जितना हो सके ऊपर की तरफ उठाएं और इसी के साथ छाती को भी ऊपर उठाएं.
शलभासन करते हुए अपने दोनों हाथों को बांधकर कूल्हों के ऊपर बिल्कुल समानांतर रखने की कोशिश करें.
जितना हो सके उतनी देर इसी पोजीशन में रहें और फिर धीरे से सामान्य स्थिति में आ जाएं.
थोड़ा आराम करके फिर से इस प्रक्रिया को दोहराएं.
नोट- शुरुआत में आप एक-एक पैर करके भी उठा सकते हैं. लेकिन दोनों पैरों को उठाने की कोशिश करते रहें. बता दें कि शलभासन करने के कई तरीके हैं.
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Locust Pose Benefits: शलभासन करने के फायदे (Shalabhasana Benefits)
शलभासन करने से निम्नलिखित फायदे (salabhasana benefits) प्राप्त होते हैं. जैसे-
शलभासन के फायदों में कमर का लचीलापन बढ़ना शामिल हैं.
वहीं, इससे कमर व पीठ की मसल्स मजबूत होती हैं.
शलभासन पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाकर पाचन क्रिया भी सुधारता है.
यह योगासन हाथों और कंधों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है.
पेट की चर्बी घटाने में मदद मिलती है.
गर्दन को आराम मिलता है.
नोट- अगर आप पहली बार योगा कर रहे हैं, तो किसी मार्गदर्शक की देखरेख में ही करें.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.