Silent Heart Attack: हाल ही के वषों में हार्ट अटैक के मामलों में एक तेजी की वृद्धि देखी गई है, जिसमें बुजुर्गों के साथ-साथ कम उम्र के लोग भी शामिल हैं. यह साइलेंट हार्ट अटैक नामक स्थिति दबे पांव के रूप में प्रकट होती है और व्यक्ति इसके बारे में जानकारी नहीं होती है जब तक कि दिल का दौरा पूरा नहीं हो जाता. साइलेंट हार्ट अटैक अत्यंत खतरनाक साबित हो सकता है और इसका खतरा अस्वस्थ जीवनशैली और अनहेल्दी आहार के कारण बढ़ गया है. इस आर्टिकल में हम साइलेंट हार्ट अटैक से जुड़ी मुद्दों को विस्तार से समझेंगे और यह भी जानेंगे कि यह आम हार्ट अटैक से कितना अलग होता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है जहां दिल का दौरा पड़ता है लेकिन इसके लक्षणों को व्यक्ति अनुभव नहीं करता है और यह अनजाने में ही हो जाता है. इसलिए इसे 'साइलेंट' कहा जाता है. इसमें आमतौर पर छाती में दबाव, दर्द या दिल की गतिविधि जैसे सामान्य हार्ट अटैक के लक्षण नहीं होते हैं. यह बात खासकर चिंता की बात है क्योंकि व्यक्ति इसे नजरअंदाज कर सकता है और अटैक का पता नहीं चल सकता है, जिससे अधिक जोखिम और नुकसान हो सकते हैं. साइलेंट हार्ट अटैक का मुख्य कारण खराब खानपान, तंबाकू और अनहेल्दी जीवनशैली हो सकती है. इसके अलावा, इसे बढ़ा सकने वाले रिस्क फैक्टर्स में डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास शामिल हो सकते हैं. साइलेंट हार्ट अटैक का पता लगाने के लिए नियमित हेल्थ चेकअप और अपने डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है.


किन्हें है साइलेंट हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा
साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा उन लोगों के लिए अधिक होता है जो हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, वृद्धावस्था और अधिक मोटापे की समस्याओं से पीड़ित है. इसके अलावा, कई बार अंडरलाइन डिजीज के कारण भी आर्टरीज ब्लॉक हो जाती है, जिससे साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार, बहुत से लोग हार्ट अटैक के लक्षणों को एसिडिटी या किसी अन्य समस्या के लक्षण को समझकर इग्नोर कर देते हैं.