प्रकृति को ना तो कोई समझ पाया है और ना ही कोई समझ पाएगा। इसकी गर्भ में ऐसे कई गहरे राज छिपे हैं, जो वक्त-बेवक्त हमारे सामने आकर चौंकाते रहते हैं। 2019 के अंत से शुरू हुआ कोरोना वायरस (Coronavirus; Covid-19) 1.5 साल बाद भी दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है और लोग हर दिन यह अंदाजा लगा रहे हैं कि आखिर कबतक इस महामारी को झेलना पड़ेगा। लेकिन आपको बता दें कि 300 साल पहले भी दुनिया में कोरोना जैसी महामारी (Pandemic) फैली थी, जिसने कई हजार लोगों की जिंदगी खत्म कर दी थी। इस महामारी को खत्म होने में 260 साल लग गए। इस बात का खुलासा बोस्टन की Congregational Library & Archives ने अपने ट्विट में किया है।


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कोरोना जैसी महामारी का नाम था चेचक (Smallpox)
बोस्टन की लाइब्रेरी एंड आर्काइव्स के ऑनलाइन पोस्ट में साझा किए गए पुराने दस्तावेज के बाद यह बात सामने आई कि 1721 में अंग्रेजी जहाज एचएमएस सीहॉर्स (HMS Seahorse) के जरिए यूरोप यह महामारी बोस्टन आई। जिसके बाद यह दुनियाभर में फैलती गई। लेकिन इसने सबसे ज्यादा अमेरिका में तबाही मचाई थी। अमेरिका के साथ पूरी दुनिया में चेचक महामारी की कई लहर आई।


1796 में बनी थी चेचक की वैक्सीन
जहां कोविड-19 (Covid-19) की वैक्सीन एक साल के आसपास हमें उपलब्ध करवा दी गई है, वहीं चेचक की वैक्सीन विकसित होने में 75 साल के आसपास लग गए थे। दुनिया में चेचक की पहली औपचारिक वैक्सीन 1796 में बनी और इसे बनाने वाले वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर ने 8 साल के बच्चे को चेचक का पहला टीका लगाया। सीडीसी के मुताबिक अमेरिका में चेचक का आखिरी प्राकृतिक प्रकोप 1949 में दर्ज किया गया था।


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करीब 260 साल बाद हुई खत्म
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने करीब 260 साल बाद 1980 में चेचक यानी स्मॉलपॉक्स को महामारी की लिस्ट से निकाल दिया। उनके मुताबिक, उस दौरान चेचक की महामारी से जिंदगी गंवाने का कोई मामला सामने नहीं आ रहा था। तो 300 साल पहले फैली कोरोना जैसी महामारी चेचक का यह हाल था, जिसने खत्म होते-होते दुनियाभर में लाखों लोगों को खत्म कर दिया।