जानिए कितनी खतरनाक है टिटनेस की बीमारी, लक्षण देख ऐसे करें बचाव
Dangerous Tetanus Disease: टिटनेस की बीमारी बेहद खतरनाक हो सकती है. इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना और बीमारी के पता चलने पर टीका न लगवाना आपके लिए जानलेवा हो सकता है.
Dangerous Tetanus Disease: टिटनेस की बीमारी हमारी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है. ये एक गंभीर बैक्टीरियल बीमारी है, जिसमें विशेष रूप से जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों में संकुचन होने लगता है. टिटनेस को आमतौर पर लॉकजॉ के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, टिटनेस की गंभीर स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है. बता दें टिटनेस की बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन टीकाकरण से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. वहीं बहुत पहले से लोगों के लिए टिटनेस के टीके लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसे में जो लोग टिटनेस का टीका नहीं लगवाते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और टिटनेस का खतरा काफी बढ़ जाता है. आइये बताते हैं कितनी खतरनाक हो सकती है टिटनेस की बीमारी.
जानें टिटनेस के लक्षण
-टेटनस के सबसे आम प्रकार को सामान्यीकृत टेटनस कहते हैं. इसके लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और फिर दो सप्ताह के अंदर हालत बिगड़ने लगती है. इसमें आमतौर पर जबड़े से जकड़न शुरू होकर शरीर के निचले हिस्से की ओर बढ़ती है.
-टिटनेस में मांसपेशियों में दर्दनाक ऐंठन और जबड़े में कठोर जकड़न होती है.
-इसके साथ ही टिटनेस होने पर आपके होठों के आसपास की मांसपेशियों में तनाव महसूस हो सकता है.
-दर्दनाक ऐंठन के साथ ही आपकी गर्दन की मांसपेशियों में अकड़न हो सकती है.
-किसी भी चीज को खाते समय निगलने में कठिनाई होती है और मुंह में दर्द होता है.
-पेट की मांसपेशियां कठोर होने लगती हैं.
कारण और बचाव
जैसा कि आपको बताया कि टिटनेस एक जीवाणु रोग है. इसे पैदा करने वाले जीवाणु को क्लोस्ट्रीडियम टेटानी कहते हैं. ये जीवाणु मिट्टी और जानवरों के मल में निष्क्रिय अवस्था में जीवित रह सकता है. यही निष्क्रिय जीवाणु जब घाव में प्रवेश करते हैं, तो टेटनोस्पॉस्मिन नाम का एक विषाक्त पदार्थ पैदा होता है. यह विषाक्त पदार्थ शरीर के मोटर न्यूरॉन्स को खराब कर देते हैं. इसी वजह से मांसपेशियों में जकड़न की स्थिति होती है और टिटनेस की शिकायत होती है.
अगर किसी व्यक्ति ने कभी भी टिटनेस का टीका नहीं लगवाया है तो उसे टिटनेस होने का अधिक खतरा रहता है. ऐसे में इस बीमारी का सिर्फ एक ही बचाव है और वह है टीकाकरण. टिटनेस का टीका बच्चों को डिप्थीरिया, टिटनेस टॉक्सोइड्स और अकोशिकीय पर्टुसिस वैक्सीन (DTaP) के हिस्से के रूप में दिया जाता है.
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