दिल्ली में महिलाएं अब देर से मां बनने का फैसला ले रही हैं. एक नए अध्ययन के अनुसार, 35 साल की उम्र के बाद मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है. दिल्ली सरकार की एनुअल रिपोर्ट ऑन रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ के अनुसार, साल 2010 में 35 साल से अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2.25% था जो 2023 में बढ़कर 8.39% हो गया है.


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यह रिपोर्ट कई महत्वपूर्ण बातें बताती है. सबसे पहले, यह बताती है कि महिलाएं अब अपने करियर और पर्सनल जीवन को बैलेंस करने के लिए अधिक समय ले रही हैं. वे पहले की तुलना में ज्यादा शिक्षित और स्वतंत्र हैं और अपने जीवन के बारे में स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हैं. दूसरी बात, यह बताती है कि प्रजनन तकनीक में हुए विकास के कारण महिलाएं अब देर से मां बनने में सक्षम हैं.


30-34 साल की उम्र में भी बढ़ा ट्रेंड
रिपोर्ट के अनुसार, 30 से 34 साल की उम्र के बीच मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है. 2010 में इस आयु वर्ग में 9.46% महिलाएं मां बनी थीं, जो 2023 में बढ़कर 24.71% हो गई है. वहीं, 20 से 29 साल के बीच मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में कमी आई है. 2010 में इस आयु वर्ग में 86.67% महिलाएं मां बनी थीं, जो 2023 में आधे से भी कम रह गई हैं.


इस बदलाव के पीछे क्या कारण हैं?
करियर: अधिकतर महिलाएं अब अपने करियर को प्राथमिकता दे रही हैं. वे पढ़ाई पूरी कर रही हैं, नौकरी कर रही हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन रही हैं.
शादी में देरी: महिलाएं अब शादी में देरी कर रही हैं. वे अपने जीवनसाथी का चुनाव करने में अधिक समय ले रही हैं.
प्रजनन तकनीक: प्रजनन तकनीक में हुए विकास के कारण महिलाएं अब देर से मां बनने में सक्षम हैं.
लाइफस्टाइल में बदलाव: आजकल लोग अधिक जागरूक हैं और वे अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं. वे देर से मां बनने के फायदों और नुकसानों के बारे में जानते हैं.


इस बदलाव के क्या प्रभाव होंगे?
* यह बदलाव समाज में महिलाओं की भूमिका में बदलाव लाएगा. महिलाएं अब अधिक स्वतंत्र और सशक्त होंगी.
* परिवार की संरचना में बदलाव आएगा. परिवार छोटे होंगे और महिलाएं अपने करियर के साथ-साथ परिवार का भी ध्यान रख सकेंगी.
* देर से मां बनने का महिलाओं की सेहत पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है.