Heart Attack in Kids: किन कारणों की वजह से स्कूली बच्चे भी हो रहे हार्ट अटैक के शिकार? एक्सपर्ट से जानें
हार्ट अटैक आमतौर पर वयस्कों में होते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में स्कूली बच्चों में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. स्कूल बच्चों में हार्ट अटैक के कई कारण हो सकते हैं. जानिए क्या?
आज के समय में बड़े-बूढ़े ही नहीं, बल्कि जवान और बच्चे भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. यह तब होता है जब दिल की मांसपेशियों में खून का फ्लो रुक जाता है. हार्ट अटैक का सबसे आम कारण कोरोनरी धमनी रोग है, जो तब होता है जब कोरोनरी धमनियां फैट और अन्य पदार्थों से ब्लॉक हो जाती हैं.
कई एक्सपर्ट बताते हैं कि हार्ट अटैक आमतौर पर वयस्कों में होते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में स्कूली बच्चों में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. स्कूल बच्चों में हार्ट अटैक के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
जन्मजात दिल की बीमारी: कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल की बीमारी होती है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकते हैं.
थायराइड डिसऑर्डर: थायराइड डिसऑर्डर से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
मोटापा: मोटापा दिल की बीमारी के खतरे को बढ़ाता है, जो हार्ट अटैक का एक कारण हो सकता है.
धूम्रपान: धूम्रपान खून को गाढ़ा और चिपचिपा बनाता है, जिससे दिल की धमनियों में ब्लॉकेज बन सकता है.
नशीली दवाओं का सेवन: नशीली दवाओं का सेवन दिल की गति को तेज कर सकता है और ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
अत्यधिक तनाव: अत्यधिक तनाव से दिल की गति बढ़ सकती है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
हार्ट अटैक के लक्षण
- सीने में दर्द, दबाव या असहजता
- सांस लेने में तकलीफ
- कंधे, गर्दन, जबड़े या पीठ में दर्द
- चक्कर आना या बेहोशी
- मतली या उल्टी
बच्चों में हार्ट अटैक के खतरे को कैसे कम करें?
स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार खाने से दिल की बीमारी का खतरा कम करने में मदद मिल सकती है. बच्चों की डाइट में फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम फैट वाले प्रोटीन को शामिल करें.
नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से दिल को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है. अपने बच्चे को बाहरी खेल के लिए प्रोत्साहित करें.
नशीली दवाओं का सेवन न करें: नशीली दवाओं का सेवन हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है.
तनाव: अपने बच्चे पर किसी भी तरह का तनाव न पड़ने दे. इसके लिए आप अपने बच्चे को मेडिटेशन या योग सिखाएं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.