नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) इस वक्त बहुत तेजी से फैल रहा है और बीते 24 घंटे में देश में 3 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. कई शहरों में अस्पतालों से लेकर मेडिकल सुविधाएं तक चरमराने लगी हैं. बड़ी संख्या में लोगों को बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग हल्के लक्षणों वाले कई मरीजों (Mild symptoms patient) को घर पर ही रहकर होम आइसोलेशन (Home isolation) में ही रिकवर होने की सलाह दे रहा है. कोरोना पॉजिटिव मरीज के ऑक्सीजन लेवल पर नजर रखना बेहद जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मरीज को अस्पताल ले जाने की जरूरत कब हो सकती है. ऐसे में ऑक्सीजन लेवल को मापने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse oximeter) का होना बेहद जरूरी है.


क्या है पल्स ऑक्सीमीटर?


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यह एक छोटी सी क्लिप जैसी डिजिटल डिस्प्ले वाली मशीन है जिसे उंगली पर लगाना होता है और फिर रीडिंग आती है. इसकी मदद से खून में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल (Oxygen saturation level in blood) कितना है इसे मापा जा सकता है. ऑक्सीजन सैचुरेशन का अर्थ है कि लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) कितना ऑक्सीजन यहां से वहां ले जा रही हैं. खून में ऑक्सीजन के प्रवाह से ही सभी अंग सही तरीके से काम करते हैं. शरीर में होने वाले छोटे से छोटे बदलाव को भी यह डिवाइस पकड़ लेता है. इसे लगाते वक्त उंगली पर किसी तरह का कोई दर्द नहीं होता है.


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कैसे काम करता है पल्स ऑक्सीमीटर?


पल्स ऑक्सीमीटर डिवाइस कैसे काम करता है इसकी बात करें तो यह स्किन पर एक तरह का लाइट छोड़ता है और खून की कोशिकाओं के मूवमेंट (Detects the movement of blood cells) और उनके रंग का पता लगाता है. एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 96 फीसदी ऑक्सीजन होना ही चाहिए. अगर ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे जाता है तो यह खतरे की निशानी हो सकता है. 


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कोरोना के समय बेहद मददगार है पल्स ऑक्सीमीटर


होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों को दिन में कम से कम 3-4 बार अपना ऑक्सीजन लेवल पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से चेक करना चाहिए (Check oxygen level 3-4 times). अगर ऑक्सीजन का लेवल 90 से नीचे जाता है तो तुरंत मरीज को अस्पताल लेकर जाना चाहिए.   


(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)


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