बीजिंग: चीनी के वैज्ञानिकों ने प्रोस्टेट कैंसर के लिए जिम्मेदार एक जीन की पहचान की है जिससे इस बीमारी का पता लगाने और उसका इलाज करने में नए तरीके का इस्तेमाल किया जा सकेगा. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने खबर दी है कि सुजहोउ इंस्टि्टयूट ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलोजी के वैज्ञानिकों ने ‘ पीसीएसईएटी ’ नाम के एक नए बायोमार्कर की खोज की है. 


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शोध में सामने आया कि प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों में पीसीएसईएटी अधिक मात्रा में है जिससे संकेत मिला कि पीसीएसईएटी संभावित चिकित्सीय लक्ष्य हो सकता है. यह शोध मई में, ‘ बायोकेमिकल एंड बायोफिजिकल रिसर्च कम्यूनिकेशंस ’ में प्रकाशित हुआ है. शोध के आधार पर वे प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी पता लगा सकते हैं.  इसके इलाज की लागत में कमी आ सकती है.  


प्रोस्टेट कैंसर से बचाने के लिए तैयार हुआ आरएनए टीका
प्रोस्टेट कैंसर (पौरुष ग्रंथी में होने वाला कैंसर) भारत में होने वाले दस प्रमुख कैंसरों में से एक है. एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर से हर साल भारत में 12,231 लोग जान गंवा देते हैं. आंकड़े बताते हैं कि भारत के सभी क्षेत्र प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर से प्रभावित हैं. इसके इलाज के लिए दुनिया भर के विशेषज्ञ कई वर्षों से इसका टीका बनाने की कोशिश कर रहे थे. ब्रिटेन की क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के विशेषज्ञों का दावा है कि उन्होंने एक ऐसी दवा बना ली है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने पर प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होगा और प्रतिरक्षा तंत्र कैंसर कारक कोशिकाओं को बनते ही खत्म कर देगा. 


विशेषज्ञों का दावा, प्रोस्टेट कैंसर का भी इलाज
ब्रिटिश विशेषज्ञों का दावा है कि इस दवा से पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर का इलाज भी किया जा सकेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि उनके द्वारा तैयार की गई दवा एक प्रकार का टीका है. इसे कम उम्र में ही पुरुषों को दिया जाएगा, जिससे भविष्य में उन्हें प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा न हो. 


कोशिका तक पहुंचाने के लिए दिया आरएनए टीके का रूप
शोधकर्ताओ का दावा है कि इसे कोशिका तक पहुंचाने का कोई प्रभावी उपाय नहीं मिल रहा था. प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए विशेषज्ञ आरएनए टीका बनाने की कोशिश कर रहे थे. अंत में इसे त्वचा से कोशिका तक पहुंचाने के लिए टीके का रूप दिया. यह टीका शरीर के आनुवांशिकी संदेशवाहक आरएनए का इस्तेमाल करेगा, जिससे  प्रतिरक्षा तंत्र को प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को पहचानने में मदद मिलेगी. इसका परीक्षण प्रयोगशाला में हो चुका है, अब चूहों पर परीक्षण करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. 


जानें क्या हैं प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
आमतौर पर प्रारम्भिक अवस्था में प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण दिखाई नही देते हैं. उन्नत अवस्था में कुछ लक्षण उभर कर सामने आते है, जैसे कि पेशाब करने में कठिनाई, बार-बार मूत्र त्याग करने इच्छा, सामान्य से अधिक बार पेशाब करना, हड्डियों में दर्द, मूत्र में रक्त, मूत्राशय या आंत्र नियंत्रण में क्षति, कमजोरी या पैर में सुन्नपन आदि इसके कई मुख्य लक्षण हैं.


इनपुट भाषा से भी