देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे न केवल आम नागरिक बल्कि बुजुर्गों की सेहत पर भी गंभीर असर पड़ रहा है.
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देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे न केवल आम नागरिक बल्कि बुजुर्गों की सेहत पर भी गंभीर असर पड़ रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को यह स्वीकार किया कि उन्होंने वायु प्रदूषण के कारण अपनी सुबह की सैर बंद कर दी है. उनके डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी है कि वायु प्रदूषण के चलते बाहर न निकलें, ताकि सांस संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो सके.
एपिटोम अस्पताल (नई दिल्ली) में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर के वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख डॉ. आशीष अरोड़ा ने बताया कि वृद्ध नागरिकों के लिए वायु प्रदूषण ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम उम्र के साथ कमजोर हो जाती है, जिससे वे श्वसन संक्रमण और अन्य बीमारियों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं. प्रदूषण में पाए जाने वाले हानिकारक कण जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और ओजोन (O3) उनके इम्यून सिस्टम को और कमजोर कर सकते हैं, जिससे निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
इसके अलावा, वृद्ध नागरिकों में पहले से ही फेफड़ों से संबंधित बीमारियां जैसे कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और अस्थमा प्रचलित होती हैं. वायु प्रदूषण इन बीमारियों के लक्षणों को और गंभीर बना सकता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण में पाए जाने वाले माइक्रो कण श्वास नलियों में सूजन पैदा करते हैं, फेफड़ों के काम को प्रभावित करते हैं और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम कर सकते हैं.
दिल की बीमारी के जोखिम
वायु प्रदूषण के संपर्क में लंबे समय तक रहने से दिल का दौरा, स्ट्रोक, अनियमित धड़कन और हार्ट फेल का खतरा बढ़ा सकता है, खासकर बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए. लॉन्ग टर्म संपर्क से मौत का खतरों भी बढ़ जाता है. शोध में पाया गया है कि वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस (नसों में प्लाक का निर्माण) को बढ़ावा दे सकता है, जिससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
कॉग्निटिव गिरावट में गिरावट
इसके अलावा, हाल के अध्ययनों ने यह संकेत दिया है कि वायु प्रदूषण बुजुर्गों में कॉग्निटिव गिरावट का कारण भी बन सकता है, जैसे कि अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियां. बुजुर्गों की सेहत को सुरक्षित रखने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. नागरिकों को भी इन नियमों का पालन करना चाहिए. वरिष्ठ नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे प्रदूषण के चरम समय में घर के अंदर ही रहें और साफ वातावरण में फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा दें.