Understanding Menopause: मेनोपॉज महिलाओं का एक नेचुरल स्टेज है, इसका सिंपल मतलब है कि कि अब वो बच्चे पैदा नहीं कर सकती है. ये स्टेज 45 से 55 साल की उम्र में होता, इसमें मेंस्ट्रुअल पीरियड आना बंद हो जाता है. ये बदलाव इसलिए होता है क्योंकि ओवेरीज धीरे-धीरे एस्ट्रोजेन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरॉन (Progesterone) हार्मोन बनाना बंद कर देती है, जो मेंस्ट्रुअल साइकिल के लिए जरूरी होता है. जैसे-जैसे ये हार्मोन लेवल ड्रॉप होते हैं वैसे-वैसे पीरियड्स इर्रेग्युलर होने लगते हैं और आखिर में बंद हो जाते हैं.
 
मेनोपॉज के 3 स्टेप्स होते हैं


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1.  पेरिमेनोपॉज (Perimenopause)
ये मेनोपॉज से पहले का स्टेज होता है जब हार्मोन लेवल चेंज होने लगता है, महिलाएं कुछ लक्षणों को नोटिस कर सकती हैं जैसे इर्रेग्युलर पीरियड्स, हॉट फ्लैशेज, रात में पसीना आन और मूड स्विंग्स वगैरह.


2. मेनोपॉज (Menopause)


मेनोपॉज को तब कंफर्म किया जाता है जब 12 महीने तक महिला को पीरियड नहीं आया हो, इस स्टेज में हार्मोन लेवल कम होता है, और रिप्रोडक्टिल फंक्शन बंद हो जाता है.



3. पोस्टमेनोपॉज (Postmenopause)
ये स्टेज मेनोपॉज के बाद आता है, जिसमें कुछ पुराने लक्षण नजर आते हैं, लेकिन महिला का शरीर लोअर हार्मोन लेवल का आदी होने लगता है.



मेनोपॉज में महिलाओं को क्या करना चाहिए?


गायनोकॉलोजिस्ट डॉ. शेख निलोफर सलीम (Dr. Shaik Nilofer Saleem) के मुताबिक इस ट्राजीशनल स्टेज में महिलाओं को अपनी सेहत को तरजीह देनी चाहिए , इसमें रेग्युलरली गायनोकॉलोजिस्ट के पास जाना और हेल्थ चेकअप कराना शामिल है. इसके जरिए आप लाइफस्टाइल में जरूरी चेंजेज ला पाएंगी, सेहत का ख्याल रख पाएंगी और खुद को बीमार होने से बचा पाएंगी. आइए जानते हैं कि महिलाओं को इस दौरान और क्या-क्या करना चाहिए.


1. न्यूट्रीशनल डाइट खाएं
मेनोपॉज आने से पहले या इस दौरान आपको बैलेंस्ड डाइट खाना होगा, जिसमें कैल्शियम, विटामिन डी अहम है, क्योंकि इससे हड्डियों को ताकत मिलती है. आप डेयरी प्रोडक्ट, हरी पत्तेदार सब्जियां और फोर्टिफाइड फूड्स का सेवन बढ़ा दें.


2. फिजिकली एक्टिव रहें
इस स्टेज में फिजिकली एक्टिव रहना बेहद जरूरी है. आप इसके लिए वॉकिंग, रनिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का सहारा ले सकती हैं क्योंकि इससे बोन डेंसिटी और दिल की सेहत बेहतर होती है.


3. पानी की कमी न होने दें
आपको रेग्युलरली पानी पीते रहने चाहिए जिससे ड्रायनेस या हॉट फ्लेशेज का खतरा कम हो जाएगा.


4. मेंटल हेल्थ का ख्याल रखें
दिमागी सेहत का भी ख्याल रखना जरूरी है, इसके लिए माइंडफुलनेस, मेडिटेशन, गहरी सांस लेना जैसी टेक्निक का सहारा लिया जा सकता है, इससे मूड स्विंग और एंग्जाइटी को कंट्रोल करना आसान हो जाता है.


5. मेंस्ट्रुअल साइकिल को ट्रैक करें
अगर आपके मेंस्ट्रुअल साइकिल में बार-बार चेंज आ रहा है तो ये पेरिमेनोपॉज स्टेज हो सकता है, जिसकी जांच आप डॉक्टर से करा सकती हैं.



मेनोपॉज से जुड़े मिथ
अक्सर मेनोपॉज को गलत तरीके से समझ लिया जाता है, जैसे कि ये अचानक नहीं आता, बल्कि आप धीरे-धीरे इस स्टेज में पहुंचती हैं. कई महिलाओं को लगता है कि इस स्टेम में इंटेस सिम्पटम्स आते हैं, लेकिन सच ये है कि हर महिलाओं में लक्षण अलग-अलग तरह के हो सकते हैं. एक मिथ ये भी है कि मेनोपॉज के महिलाओं के यौन जीवन का अंत है, लेकिन ये बात सही नहीं है.


 


(Disclaimer:प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)