सर्दी-जुकाम तो ठीक हो गया, लेकिन जिद्दी खांसी जाने का नाम ही नहीं ले रही. ऐसा अनुभव शायद आपने भी किया होगा. हालांकि, इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है, यह काफी आम बात है. कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 11% से 25% वयस्क सर्दी-जुकाम के बाद खांसी की समस्या से जूझते हैं. यह खांसी 3 से 8 हफ्तों तक रह सकती है.


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अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक, पोस्ट-इंफेक्शन खांसी (जिसे पोस्ट-वायरल खांसी भी कहते हैं) वायरल संक्रमण के बाद हो सकती है. एमडी - एक ओटोलरींगोलॉजिस्ट (ENT) ओमिद मेहदीजादेह बताते हैं कि यह खांसी नाक, गले, वॉयस बॉक्स और फेफड़ों सहित रेस्पीरेट्री सिस्टम में सूजन बढ़ने के कारण होती है. अध्ययन के अनुसार, यह सूजन सांस की नलियों की सेंसिटिविटी बढ़ा सकती है और बलगम बनाने की प्रक्रिया को बढ़ा सकती है, वहीं साथ ही बलगम को बाहर निकालने की क्षमता कम कर सकती है.


पोस्ट-इंफेक्शन खांसी का इलाज
कोलंबिया यूनिवर्सिटी इरविन मेडिकल सेंटर में प्राथमिक चिकित्सक और इंटर्निस्ट डॉ. चैन्टल स्ट्राचन का कहना है कि कोविड-19 महामारी का एक बचा हुआ प्रभाव लंबे समय तक चलने वाली खांसी को लेकर बना हुआ कलंक है. हालांकि, उन्होंने कहा कि पोस्ट-इंफेक्शन खांसी आमतौर पर परेशानी का विषय जरूर हो सकती है, लेकिन यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत नहीं देती.


डॉ. स्ट्राचन ने आगे बताया कि इस खांसी के लिए ओवर-द-काउंटर कफ सिरप, नाक की सूजन कम करने वाले स्प्रे, ह्यूमिडिफायर और लोजेजेस कारगर साबित हो सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉयड के इस्तेमाल का इस स्थिति में कोई फायदा नहीं है. अध्ययन के अनुसार, ज्यादातर मामलों में बिना किसी दवा के भी समय के साथ खांसी ठीक हो जाती है. दवाओं के इस्तेमाल से पर्यावरण को भी हानि पहुंच सकती है.


कब समझे कि खांसी गंभीर है?
पोस्ट-इंफेक्शन खांसी आमतौर पर एक सूखी खांसी होती है. वहीं, सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द के साथ होने वाली खांसी की जांच जरूरी है. उन्होंने बताया कि बलगम में खून आना, निगलने में परेशानी, दर्द, बुखार, सांस लेने में तकलीफ और सांस लेने में घरघराहट जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ऐसे लक्षणों की स्थिति में सीने का एक्स-रे जरूरी हो सकता है. अगर खांसी 8 हफ्तों से ज्यादा समय तक रहती है या आपको अन्य गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.