नई दिल्ली: दुश्मनों का गेम ओवर करने के लिए हिंदुस्तान की नौसेना (Indian Navy) सबसे बड़े वॉरगेम की तैयारी कर रही है. हिंद महासागर (Indian Ocean) में भारत के दोस्तों का सबसे बड़ा युद्धअभ्यास होगा. चीन-पाकिस्तान (China-Pakistan) को हिंदुस्तान ही नहीं उसके दोस्तों से भी डर लग रहा है. 41 देशों के मिलन से अब दुश्मनों की हर चाल पर निगरानी नेत्र मौजूद होगा. यानी भारत के आसपास की समुद्री सीमा अभेद्य हो जाएगी. हिंदुस्तान के मिलन से देश के दुश्मन चीन-पाकिस्तान दोनों को जलन हो रही है. 


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इस वॉरगेम में 70 युद्धपोत समुद्र मंथन करेंगे जिससे बीजिंग से लेकर इस्लामाबाद तक टेंशन में हैं. इस बेमिसाल ताकत का मिलन हिंदमहासागर में हो रहा है लेकिन जिनपिंग औऱ इमरान इस पर नजरें गड़ाए बैठे हैं. साल 2020 में नौसेना का ये निर्णायक युद्धाभ्यास है. 2 दशक पहले जब मिलन की शुरूआत हुई तो सिर्फ 4 देश शामिल हुए थे लेकिन 2020 में पहली बार हिंद महासागर में भारत के साथ 41 दोस्त इकट्ठा होंगे. मिलन युद्धाभ्यास अबकी बार अंडमान निकोबार द्वीप में नहीं विशाखापट्नम में होगा. युद्धाभ्यास के लिए 12 विदेशी वॉरशिप की मंजूरी मिल चुकी है. भारत ने चीन, पाकिस्तान और टर्की को मिलन 2020 का न्योता नहीं दिया है जबकि अमेरिका, यूके, फ्रांस, रूस, जापान ऑस्ट्रेलिया जैसे कई बड़े देश मिलन 2020 में शामिल होंगे. भारत ने ईरान और इज़रायल को भी मिलन 2020 का न्योता भेजा है. 


सबसे पहले ये जानिए कि समंदर के बीच में ये एक्सरसाइज क्यों जरूरी है. 5 दिन तक होनेवाले इस समुद्र मंथन का मुख्य उद्देश्य अलग-अलग देशों की नौसेना के साथ आपसी तालमेल बिठाना है ताकि जंग या प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए मिलकर काम किया जा सके. भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान अक्सर परेशानियां खड़ी करते रहे हैं. देश की हज़ारों मील लंबी समुद्री सीमा की तरफ कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता क्योंकि भारत ने हिंद महासागर का सिकंदर बनने की तैयारी कर ली है. 


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चुन-चुनकर ऐसे देशों को इकट्ठा किया गया है जो चीन के खिलाफ भारत का साथ दे सकते हैं. इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, तंजानिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, कंबोडिया, वियतनाम, ब्रुनेई, म्यांमार, थाईलैंड, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, सेशेल्स, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, मोजांबिक, केन्या, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ओमान शामिल हैं. इनमें से कुछ देशों के जंगी जहाज शामिल होंगे तो कुछ देशों की तरफ से डेलीगेशन शामिल होगा.


विशाखापट्नम में हो रही एक्सरसाइज को आप युद्ध के लिए ट्रेनिंग कह सकते हैं. युद्ध कब, कहां और किसके साथ होगा? ये पता नहीं लेकिन नौसेना ऐसे हालात के लिए खुद को तैयार रखती है. ये भी हो सकता है कि भविष्य में इन देशों की सेनाओं को मिलकर काम करना पड़े. इसलिए जरूरी है कि इन देशों के बीच मजबूत सैन्य संबंध हो और नौसेना सामरिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण इलाके में एक-दूसरे को मदद कर सके. पाकिस्तान समुद्री रास्ते से घुसपैठ और चीन समुद्र में अपने वर्चस्व को बढ़ाने में लगा है तो आप ये कह सकते हैं कि चीन पाकिस्तान को रोकने के लिए भारत ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जवाब ढूंढ लिया है.