नई दिल्लीः मुंबई के जेजे अस्पताल में 13 साल की रेप पीड़िता ने शुक्रवार को बेटे को जन्म दिया. नाबालिग का जेजे अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन किया गया है. पैदा हुए बच्चे का वजन 1.8 किलोग्राम है, उसे एनआईसीयू में रखा गया है. गौर हो कि दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस रेप पीड़िता को 31 सप्ताह का गर्भ गिराने की मंजूरी दी थी. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, डॉक्टर जब गर्भपात की कोशिश कर रहे थे तो पाया कि यह नाबालिग के लिए खतरा हो सकता है. ऐसे में उन्होंने सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए बच्चा पैदा करने का फैसला किया.



COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक आनंद ने बताया, ‘बच्चा ठीक है और अभी उसे निगरानी में रखा जाएगा.’ नाबालिग अस्पताल में एक सप्ताह तक रहेगी. 



आपको बता दें कि इस नाबालिग के साथ उसके पिता के बिजनस पार्टनर ने कथित तौर पर सात महीने पहले रेप किया था. 9 अगस्त को नाबालिग के परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस के मुताबिक 23 साल के आरोपी ने कई बार नाबालिग के साथ रेप किया है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया. नाबालिग के घरवालों ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भ गिरा देने लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी.


बलात्कार की शिकार यह लडकी मुंबई की रहने वाली है और सातवीं कक्षा की छात्रा है. मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेन्सी :एमटीपी :एक्ट की धारा 3 (2)(बी) के तहत 20 सप्ताह के बाद गर्भ गिराने पर प्रतिबंध है, इसलिए इस लडकी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पीठ ने इस मामले में जोखिम को देखते हुये अस्पताल से कहा कि वह इस लडकी को गर्भ गिराने की प्रक्रिया करने से एक दिन पहले अपने यहां भर्ती करे. न्यायालय ने कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता लडकी की उम्र , यौन शोषण की वजह से उसे पहुंची यंत्रणा और वेदना पर विचार करते हुये हम यह उचित समझते हैं कि गर्भ गिराने की अनुमति दी जा सकती है.’’


6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार की शिकार 13 वर्षीय किशोरी के स्वास्थ्य के बारे में मेडिकल रिपोर्ट के अवलोकन के बाद उसके 31 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी थी. इससे पहले, न्यायालय ने 28 अगस्त को मुंबई के जेजे अस्पताल के चिकित्सकों का एक मेडिकल बोर्ड गठित किया था. लेकिन मेडिकल बोर्ड मुंबई में मूसलाधार बारिश की वजह से 31 अगस्त को पीडित का परीक्षण नहीं कर सका था. इस बोर्ड ने अंतत: एक सितंबर को उसका मेडिकल परीक्षण किया.


लेकिन इसके बाद न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली न्यायलाय की संबंधित पीठ निर्धारित तारीखों पर नहीं बैठी और इस वजह से इसकी सुनवाई नहीं हो सकी. मामले की गंभीरता को देखते हुये इसी वजह से प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर विचार किया और गर्भ गिराने का आदेश दिया. आपको बता दें कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने 28 जुलाई को चंडीगढ की 32 सप्ताह की गर्भवती 10 वर्षीय बलात्कार पीडित को गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया था. बाद में इस लडकी ने चंडीगढ के अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया.