इतिहास में पहली बार गणतंत्र दिवस पर 10 ASEAN देशों के प्रमुख बनेंगे मेहमान
गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत की ओर से इन सभी प्रमुखों को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.
नई दिल्ली : इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह बेहद ही खास होने वाला है. भारतीय इतिहास में यह पहला मौका है जब 10 असियान देशों के प्रमुख भारत की ताकत को देखेंगे. प्रधानमंत्री मोदी के आमंत्रण पर इन सभी राष्ट्रध्यक्षों का भारत में आगमन हो रहा है. पहली बार यह भी हो रहा है कि भारत ने गणतंत्र दिवस के मेहमानों को बुलाने में व्यक्तियों की बजाय क्षेत्र को तवज्जो दी है. 10 राष्ट्राध्यक्षों का यह दौरा कई लिहाज से खास माना जा रहा है. इन सभी राष्ट्राध्यक्षों का भारत दौरा उस वक्त आ रहे हैं, जब क्षेत्र में चीन का आर्थिक और सैन्य हठधर्मिता बढ़ती जा रही है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक भारत के लिये इन देशों के समक्ष व्यापार और संपर्क जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में अपने आप को एक शक्तिशाली सहयोगी के तौर पर प्रस्तुत करने का बेहतर अवसर हो सकता है.
पीएम मोदी के साथ आज होगी शिखर बैठक
गणतंत्र दिवस कार्यक्रम से पहले गुरुवार को पीएम मोदी के साथ सभी राष्ट्राध्यक्षों की एक शिखर बैठक होगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस शिखर बैठक में पीएम मोदी समुद्री क्षेत्र में सहयोग और सुरक्षा के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रख सकेंगे. आसियान देशों में थाइलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई शामिल हैं. गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए 9 राष्ट्रध्यक्ष पहले ही भारत पहुंच चुके हैं. गुरुवार को इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री जोको विडोडो भारत आएंगे. कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कई ट्वीट किए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘आसियान- भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में भारत वियतनाम के प्रधानमंत्री न्ग्यूयेन जुआन फ्यूक और उनकी पत्नी सुश्री त्रान न्ग्यूयेन थू का स्वागत करता है. मानव संसाधन विकास राज्यमंत्र सत्यपाल सिंह ने उनकी आगवानी की.’’
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आज के कार्यक्रम पर एक नजर
09.30 AM: थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा के साथ मुलाकात.
10.15 AM: सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिंगलुंग के साथ बैठक.
11.00 AM: ब्रुनई के सुल्तान हसन के साथ द्विपक्षीय बैठक.1
1.55 AM: सभी प्रमुखों का राष्ट्रपति भवन में स्वागत.
01.50 PM: आसियान प्रमुखों के लिए रिट्रीट का कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
05.30 PM: ताज होटल में आसियान प्रमुख का आगमन.
05.45 PM: आसियान प्रमुखों की मौजूदगी में पीएम मोदी का स्टांप रिलीज़ कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.
06.00 PM: प्लेनरी सेशन का आयोजन किया गया है.
07.30 PM: सभी राष्ट्राध्यक्षों के साथ पीएम मोदी सांस्कृतिक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.
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एक्ट ईस्ट पॉलिसी का प्रदर्शन
इसकी पृष्ठभूमि में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति वास्तविकता में ''आकार ले रही है'' और गणतंत्र दिवस समारोह में दस आसियान नेताओं की मौजूदगी से निश्चित रूप से यह नीति दिखेगी. निर्मला ने कहा, ''प्रधानमंत्री की यह इच्छा कि 'पूर्व की तरफ देखो' (लुक ईस्ट पॉलिसी) की नीति अब 'एक्ट ईस्ट' नीति हो जाए, सच में मूर्त रूप ले रही है.'' उन्होंने कहा, ''और गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान के दस नेताओं की मौजूदगी के साथ भारत निश्चित रूप से एक्ट ईस्ट नीति का प्रदर्शन कर रहा है. और हमें खुशी है कि समारोह उन सबकी मौजूदगी के साथ होगा.''
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आसियान बैठक के इतर प्रधानमंत्री नौ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के इतर दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों के साथ नौ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. इस दौरान आतंकवाद के विरोध, सुरक्षा और संपर्क बढ़ाने पर उनका जोर होगा. मोदी 24 जनवरी को वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुयेन हुआ फुक, फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो रोआ दुतेर्ते और म्यांमार की नेता आंग सान सू की से मुलाकात करेंगे. ये नेता 25 जनवरी को होने वाली शिखर बैठक के लिये यहां पहुंच रहे हैं. प्रधानमंत्री गुरुवार को थाइलैंड, सिंगापुर और ब्रुनेई के नेताओं के साथ भी द्विपीक्षीय बातचीत करेंगे. मोदी इसके बाद शुक्रवार को इंडोनेशिया, लाओस और मलेशिया के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे.
रामायण और बौद्ध धर्म, भारत और आसियान को जोड़ते हैं: सुषमा स्वराज
आसियान के साथ संबंधों के मसले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि रामायण और बौद्ध धर्म ऐसे दो पहलू हैं जो भारत और आसियान को जोड़ते हैं और इसीलिए उन्हें भारत आसियान स्मारक सम्मेलन में विशेष महत्व दिया गया है. भारत आसियान यूथ अवॉडर्स में सुषमा ने कहा कि भारत तथा आसियान के बीच सदियों पुराने रिश्ते हैं और ये संबंध इतिहास, संस्कृति, वाणिज्य और शिक्षा जैसे विविध क्षेत्र में फैले हुए हैं.
उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र के विद्वान भारत को एक अहम अध्ययन केंद्र के तौर पर चुनते हैं, प्राचीन वक्त में वे नालंदा विश्वविद्यालय को चुनते थे. सुषमा ने कहा, ''रामायण और बौद्ध धर्म दो पहलू हैं जो भारत और आसियान को जोड़ते हैं. इसलिए हमने इन दोनों को स्मारक शिखर सम्मेलन के केंद्र में रखा है.''