DNA Analysis: जिद और जल्दबाजी जीवन की गति को रोक देती है. जिद और जल्दबाजी वो लोग करते हैं जो जीवित हैं. यही लोग इस दौरान आजादी का जमकर दोहन भी कर रहे हैं. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि जीवन का असली अर्थ जिद नहीं बल्कि जज्बा है. इसके केंद्र में 6 साल की उस बच्ची की कहानी है, जिसकी मृत्यु के बाद उसके शरीर के चार अंगों का दान किया गया. इस अंगदान ने इस बच्ची को अमर बना दिया. इस बच्ची का नाम है, रोली प्रजापति. जो देश की राजधानी दिल्ली के पास नोएडा में अपने परिवार के साथ रहती थी. लेकिन 27 अप्रैल की रात एक व्यक्ति ने इस बच्ची की गोली मार कर हत्या कर दी. इसके बाद इस बच्ची के माता-पिता ने तय किया कि वो उसके जरूरी अंगों का दान कर देंगे.


सबसे कम उम्र की Organ Donor


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अब 6 साल की ये बच्ची दिल्ली AIIMS के इतिहास में सबसे कम उम्र की Organ Donor बन गई है. और उसने अपनी मृत्यु के बाद चार लोगों को नया जीवन दिया है. हालांकि इस बच्ची पर गोली चलाने वाले व्यक्ति की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. इस बच्ची की कहानी हमें बताती है कि अमर होने के लिए और मोक्ष पाने के लिए आपको लंबा जीवन नहीं बल्कि बड़ा जीवन जीने की जरूरत है, यानी अमर होने के लिए ना तो बड़े-बड़े समाधि स्थल और स्मारक बनाने की जरूरत है और ना ही अपने नाम पर पार्क और सड़कों के नाम रखने की जरूरत है, बस जीवन में कुछ ऐसा करने की जरूरत है कि लोग आपको हमेशा याद रखें. भावुक करने वाली इस कहानी के जरिए आज आप जीते जी मृत्यु की कला को सीख जाएंगे. हालांकि इसके साथ ही हम ये भी चाहते हैं कि इस बच्ची की हत्या करने वाले लोगों की जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए ताकि इसे भी इंसाफ मिल सके.


विदेशों में भी हो रही है चर्चा 


वैसे, इस बच्ची के अंगदान की चर्चा विदेशों में भी हो रही है. अमेरिका के एक परिवार और इटली के एक NGO ने ऐलान किया है कि वो इस बच्ची के बाकी पांच भाई बहनों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएंगे. अमेरिका का ये वही परिवार है, जिसने 28 साल पहले वर्ष 1994 में एक ऐसे ही हमले में अपने सात साल के बेटे को खो दिया था. इस बच्चे का नाम था, Nicolas Green और इस पर Nicolas Gift नाम से Hollywood में एक फिल्म भी बन चुकी है. दरअसल, 1994 में Nicolas Green अपने परिवार के साथ इटली घूमने गया था. इस दौरान एक हमले में उसकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद इस परिवार ने तय किया कि वो अपने सात साल के बेटे के अंगों का दान कर देंगे. तब इस अंगदान से सात लोगों को नया जीवन मिला था.


क्या भारत के लोग भी होंगे जागरुक?


बड़ी बात ये है कि इस अंगदान ने तब इटली के लोगों को इसके प्रति काफी जागरुक किया और वहां कुछ ही समय में अंगदान करने वालों की संख्या 3 गुना तक बढ़ गई थी. और इस परिवार को उम्मीद है कि दिल्ली में इस बच्ची के अंगदान के बाद भी भारत के लोग इसके प्रति जागरुक होंगे. अंगदान को आप एक विचार से समझ सकते हैं. वो विचार ये है, Don't Take Your Organs To Heaven, Heaven Knows We Need Them Here... यानी अपने अंगों को अपने साथ स्वर्ग लेकर मत जाइए, स्वर्ग से ज्यादा उनकी जरूरत यहां है.


ये अंग किए जा सकते हैं दान


कहते हैं जब कोई व्यक्ति इस दुनिया से चला जाता है तो वह लोगों की यादों में हमेशा जीवित रहता है. हालांकि Organ Donation की मदद से कोई व्यक्ति, दूसरों के शरीर में भी जीवित रह सकता है. अब आपको अमर बनाने वाले अंगदान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी बताते हैं. हमारे शरीर के जिन 17 अंगों को दान किया जा सकता है उनमें प्रमुख हैं, Heart, Lungs, Liver, Kidneys और Skin.


- अंगदान के मामले में हमारे देश में जागरूकता की कमी है. देश में हर वर्ष Organ Transplant के लिए 5 लाख अंगों की जरूरत होती है. लेकिन जरूरत के मुताबिक Organs नहीं मिल पाते हैं .


- हर वर्ष 2 लाख Cornea की जरूरत है लेकिन सिर्फ 50 हजार ही दान किए जाते हैं.


- Kidney के मामले में ये अंतर और भी ज्यादा है. हर वर्ष 2 लाख Kidneys की Demand है लेकिन मिलती हैं सिर्फ 1684.


- देश में Heart की जरूरत वाले हर 147 लोगों में सिर्फ 1 को ही ये Organ मिलता है. Liver के मामले में हर 70 में से 1 व्यक्ति की Demand ही पूरी होती है.


- यानी भारत में Organs की बहुत ज्यादा कमी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां रोली प्रजापति के परिवार की तरह अंगदान का फैसला लेने वाले लोगों की कमी है.


- देश में हर 10 लाख लोगों में 1 व्यक्ति भी अंगदान नहीं करता है. जबकि अमेरिका में हर 10 लाख लोगों में 32 और स्पेन में 46 लोग Organ Donate करते हैं.


कोई धर्म नहीं अंगदान के खिलाफ


दुनिया में 22 प्रमुख धर्म हैं और इनमें से कोई भी धर्म अंगदान के खिलाफ नहीं है. भगवद् गीता के मुताबिक जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा पुनर-जन्म लेती है. शरीर को पुराने कपड़ों की तरह त्याग दिया जाता है. लेकिन आपके शरीर के ये पुराने कपड़े यानी Organs किसी और के काम आ सकते हैं. उन्हें जीवन दे सकते हैं. 


अब हम आपको अंगदान करने का तरीका भी बता देते हैं...


- Organs को Donate करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है. 1 दिन के बच्चे से लेकर 100 वर्ष के बुजुर्ग भी अंगदान कर सकते हैं.
- हालांकि 18 वर्ष से 50 वर्ष तक की उम्र में अंगदान करना सबसे बेहतर माना जाता है.
- अंगदान करने के लिए आप भारत सरकार के National Organ & Tissue Transplant Organization की Website पर जाकर खुद को Register करवा सकते हैं. इसकी Website का Address 'https://notto.gov.in' है. 


धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जीवन देने का काम सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं. लेकिन अंगदान एक ऐसी ही प्रक्रिया है, जिससे दूसरों को जीवन दिया जा सकता है. यानी अंगदान करके कुछ इंसान भी भगवान जैसे बन जाते हैं.