सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अब स्कूल में एडमिशन CBSE और UGC के लिए Aadhaar जरूरी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम सुनवाई करते हुए आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है.
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम सुनवाई करते हुए आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि सीबीएसई, यूजीसी के लिए आधार जरूरी है. लेकिन स्कूल में दाखिले के लिए आधार जरूरी नहीं होगा. वहीं, नीट एग्जाम के लिए आधार को अनिवार्य रखा गया है.
आधार कार्ड और पहचान के बीच एक मौलिक अंतर
आधार की संवैधानिकता पर सुबह 11 बजे जस्टिस एके सीकरी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ना शुरू किया. जस्टिस सीकरी ने कहा आधार देश में आम आदमी की पहचान बन गया है. जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार कार्ड और पहचान के बीच एक मौलिक अंतर है. बायोमैट्रिक जानकारी संग्रहीत होने के बाद यह सिस्टम में बनी हुई है. आधार से गरीबों को ताकत और पहचान मिली. आधार कार्ड का डुप्लीकेट बनवाने का विकल्प नहीं. आधार कार्ड बिल्कुल सुरक्षित है.
सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द किया
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द कर दिया है. इसके बाद अब निजी कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकतीं. आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने केंद्र से डाटा प्रोटेक्शन पर जल्द से जल्द मजबूत कानून लाने के लिए कहा है. इस दौरान जस्टिस सीकरी ने यह भी कहा कि आधार एकदम सुरक्षित है और इस पर हमला संविधान के खिलाफ है.
PAN के लिए जरूरी होगा आधार कार्ड
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने PAN के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार बायोमेट्रिक डाटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी. साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड नहीं मिले. आधार कार्ड को बैंक से लिंक करना जरूरी नहीं.
साढ़े 4 महीने में 38 दिन हुई सुनवाई
सेवानिवृत्त जज पुत्तासामी समेत कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी थी. याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किए जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई थी. पांच न्यायाधीशों ने आधार की वैधानिकता पर सुनवाई शुरू की थी. कुल साढ़े चार महीने में 38 दिनों तक आधार पर सुनवाई हुई.