नई दिल्ली: इंसान भविष्य में अमर हो पाएंगे या नहीं ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इंसान जिस संस्कृति का निर्माण करते हैं, वो सदियों तक जीवित रहती है. ऐसी ही एक संस्कृति अफगानिस्तान की है. जिसे तालिबान नष्ट करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन आज सोशल मीडिया पर दुनिया भर में रहने वाली अफगान महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ विद्रोह कर दिया है. ये महिलाएं अब सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान की पारंपरिक वेषभूषा में अपनी तस्वीरें पोस्ट कर रही हैं.


तालिबान के खिलाफ महिलाओं की बगावत


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इन महिलाओं ने दुनिया को बता दिया है कि अफगानिस्तान की असली महिलाओं की पहचान बुर्का नहीं है. आप इसे तालिबान के खिलाफ अफगान महिलाओं की बगावत भी कह सकते हैं.


बुर्का नहीं अफगान महिलाओं की पहचान!


कुछ दिनों पहले तालिबान से प्रभावित कुछ महिलाओं ने काबुल में मार्च निकाला था. इस मार्च में ये महिलाएं सिर से पांव तक बुर्के से ढंकी हुई थीं. ये महिलाएं शरिया कानून का समर्थन कर रही थीं और इनके हाथ में Islamic Emirate of Afghanistan का झंडा भी था. महिलाओं ने अपने शरीर को पूरी तरह से ढका हुआ था, कई महिलाओं ने तो हाथ में भी दस्ताने पहने हुए थे ताकि इनकी जरा सी भी त्वचा दिखाई ना दे. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अफगानिस्तान की महिलाओं का पारंपरिक पहनावा ये बुर्का नहीं है. 


अफगान महिलाओं के हक में एकजुट हो दुनिया


बता दें कि अफगानिस्तान में कट्टर इस्लामिक ताकतों के हावी होने से पहले वहां के पश्तुन समुदाय की महिलाएं इसी तरह के कपड़े पहना करती थीं  और उन्हें अपना सिर और चेहरा ढंकने की भी जरूरत नहीं होती थी. लेकिन तालिबान ने आते ही पूरे अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू कर दिया है. महिलाओं को खेलों में हिस्सा लेने से रोक दिया है, उन्हें मंत्री बनाने से भी मना कर दिया है और यहां तक कि उन्हें स्कूलों और कॉलेजों में भी लड़कों से दूर बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले लड़के और लड़कियों के बीच पर्दों की दीवार बना दी गई है. लेकिन ये अफगानिस्तान की असली संस्कृति नहीं है. इसलिए आज पूरी दुनिया को अफगान महिलाओं के हक में एकजुट होना चाहिए.