अयोध्या में मंदिर बनते ही नास्तिक सरकार भी भगवान को लगी मानने! अब मंदिरों में भक्तों को बंटवा रही छाछ, कर रही कीर्तन
DMK Party: अयोध्या में राम मंदिर बनते ही बहुत सारे लोगों को लोकसभा चुनाव से पहले अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ रहा है, जो नास्तिक थे, वह भगवान की शरण में पहुंच रहे हैं.
Tamil Nadu: अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनने का सबसे अधिक फायदा बीजेपी को होगा? एक रिपोर्ट में इस सवाल के जवाब में 51 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि इससे बीजेपी को भारी फायदा होगा, जबकि 33 फीसदी लोगों का मानना था कि इससे बीजेपी को कोई लाभ नहीं होगा. वहीं, 16 पर्सेंट लोगों ने कहा था कि वह इस पर कुछ नहीं कह सकते.
राम मंदिर के नाम पर बीजेपी को फायदा
देश में भगवान राम को लेकर जनता का मूड जानने के लिए एक सर्वे हुआ था. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कहीं न कहीं अयोध्या में बने राम मंदिर को मुद्दा बनाकर भुनाने की कोशिश कर रही है. इसका असर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देखने को मिला है.
मंदिर बना बीजेपी को टक्कर देने की काट!
इसके बाद देश की सभी पार्टियों ने बीजेपी को टक्कर देने के लिए इसकी काट ढूंढना शुरू कर दिया है. सबसे आश्चर्य की बात धर्म, भगवान और आस्था की बात अब वह तमिलनाडु सरकार कर रही है. जिसके ऊपर भगवान को न मानने का आरोप लगता है.
पहली बार डीएमके पहुंची भगवान की शरण में
तमिलनाडु में हो रही 'मंदिर पॉलिटिक्स' को लेकर सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात ये है कि डीएमके कहीं न कहीं नास्तिक विचारधारा को मानती है. हालांकि, पार्टी के नेताओं को मंदिरों या मस्जिदों में जाने से नहीं रोका जाता है. हालांकि, ये पहली बार है, जब मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार भगवान की ओर रुख कर रही है. माना जा रहा है कि वह कहीं न कहीं हिंदुत्व के रथ पर सवार बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ऐसा कर रही है. उसे उम्मीद है कि इसका फायदा चुनाव में मिलेगा.
सीएम की पत्नी ने मंदिर में की पूजा
दयनिधि स्टालिन की मां दुर्गा स्टालिन मंदिर में पूजा करते हुए तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं. दुर्गा स्टालिन ने राज्य के मेयिलादुथुरई जिले के थिरुवेंगाडु स्थित श्री सुवेधरनायेश्वर स्वामी मंदिर पहुंचीं थी और वहां पूरे विधि-विधान से पूजा की थी.
सीएम के बेटे ने सनातन धर्म के खिलाफ बोला था
जिसके मंत्री आए दिन सनातन धर्म पर बयान देते हैं. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बीते दिनों एक बयान में सनातन धर्म के खिलाफ आग उगली थी और सनातन धर्म की तुलना डेंगू-मलेरिया से करते हुए धर्म को खत्म करने की मांग तक कर डाली थी. लेकिन समय का चक्र बदला और अब वहीं सरकार भगवान के शरण में पहुंच गई है. डीएमके सरकार 'तमिल भगवान' के तौर पर जाने जाने वाले भगवान मुरुगन को लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन करने वाली है.
मंदिरों में भक्तों को मिलेगा फ्री छाछ
जब लोकसभा चुनाव नजदीक है तो डीएमके अपनी हिंदू विरोधी छवि को ध्वस्त कर हिंदू हितैषी छवि गढ़ने का प्रयास कर रही है. जिसका ताजा उदाहरण है मंदिरों में भक्तों को फ्री में छाछ देना. राज्य के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के मंत्री पी.के. शेखर बाबू ने गुरुवार को कहा कि इन दिनों गर्मी के मौसम में बहुत तेजी है. जिसके बाद भक्त लोग प्यासे रह जाते हैं. उनके लिए मंदिरों में फ्री छाछ दिया जाएगा. उनका कहना था कि मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की प्यास बुझाना हमारा परम कर्तव्य है, जिसके लिए हमने यह फैसला किया है. इस परियोजना का नाम 'नीर मोर' है. मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाल दिनों में इस परियोजना को पूरे राज्य में फैलाने का प्रयास किया जाएगा. मंत्री शेखर बाबू ने कहा कि शुक्रवार को नीर मोर परियोजना को प्रदेश के 48 मंदिरों में शुरू किया जाएगा.
दयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के खिलाफ दिया था बयान
तमिलनाडु के सीएम के बेटे और मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि 'कुछ चीजों का न सिर्फ विरोध होना चाहिए बल्कि उन्हें जड़ से खत्म कर दिया जाना चाहिए. हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया और कोरोना वायरस का विरोध नहीं कर सकते, इन्हें खत्म करना होगा. इसी तरह सनातन का खत्म करना है.' उदयनिधि के बयान से काफी हंगामा हुआ था और ये मामला हाईकोर्ट में भी गया. हाईकोर्ट ने भी उदयनिधि को उनके बयान के लिए फटकार लगाई थी. अब उन्हीं उदयनिधि स्टालिन की मां का मंदिर में पूजा अर्चना करने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
मूर्ति पूजा के खिलाफ है डीएमके
सीएम स्टालिन की पत्नी का मंदिर में पूजा करना इसलिए भी चौंकाता है क्योंकि डीएमके पार्टी की विचारधारा मूर्ति पूजा विरोधी मानी जाती है। स्टालिन की पार्टी डीएमके की जड़ें ईवी रामास्वामी पेरियार द्वारा शुरू किए गए आंदोलन से जुड़ी हैं. पेरियार जाति-धर्म विरोधी माने जाते हैं और यही वजह है कि डीएमके की विचारधारा भी जाति और धर्म विरोधी है. डीएमके मूर्ति पूजा विरोधी, ब्राह्मण विरोधी पार्टी मानी जाती है. यही वजह है कि मंदिरों के लिए इस तरह डीएमके की पहल पर चर्चा तेज हो गई है.