नई दिल्ली: वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने बुधवार को कहा कि चीन तिब्बत में लड़ाकू विमान तैनात करने के साथ ही अपनी हवाई शक्ति में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि कर रहा है और भारत को भी अपने 'प्रतिद्वंद्वियों' की क्षमताओं को ध्यना में रखते हुए अपनी वायु सेना का आधुनिकीकरण करना चाहिए. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने कहा कि दो पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार होने से भारत एक अलग तरह की स्थिति का सामना कर रहा है और दुश्मनों के इरादे रातोंरात बदल सकते हैं.


धनोआ ने भारतीय वायु सेना के बल की पुन: संरचना पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि देश के सामने सुरक्षा संबंधी जो चुनौतियां हैं, उसे देखते हुए वायु सेना की क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है. 


उन्होंने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, ' चीन के पास करीब 1,700 लड़ाकू विमान हैं जिनमें से 800 चौथी पीढ़ी के विमान हैं और युद्ध की स्थिति में यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में हमारे खिलाफ लाए जाने की आशंका है.' 


वायु सेना प्रमुख ने कहा कि यद्यपि भारत गंभीर सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा रहा है. बल के पास लड़ाकू विमानों के मंजूर किए गए 42 बेड़ों के मुकाबले 31 बेड़े हैं. जो गंभीर चिंता का विषय है. लड़ाकू विमानों के एक बेड़े में 16 से 18 विमान होते हैं.


उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी देश उस तरह के गंभीर खतरे का सामना नहीं कर रहा है जैसा भारत कर रहा है. और भारत के पड़ोसी निष्क्रिय नहीं बैठे हैं और चीन जैसे देश अपनी वायु सेना का आधुनिकीकरण कर रहे हैं. 


वायु सेना प्रमुख ने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही देश दूसरी और तीसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को चौथी पीढ़ी के विमानों से बदल रहे हैं. भारत को अपने लड़ाकू जहाजों के बेड़े को तत्काल उन्नत करने की जरूरत है ताकि किसी भी चुनौती से निपटा जा सके.