खतरनाक स्थिति में वायु प्रदूषण, 40 प्रतिशत भारतीयों पर मंडरा रहा है ये बड़ा खतरा
वायु प्रदूषण (Air Pollution) नई-नई बीमारियां पैदा करने के साथ ही हमारी उम्र भी घटा रहा है. खराब एयर क्वालिटी (Poor Air Quality) की वजह से उत्तर भारत में रहने वाले 48 करोड़ लोगों की उम्र 9 साल तक कम हो सकती है.
नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में भारत में वायु प्रदूषण (Air Pollution) सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है और अब यह बात सामने आई है कि प्रदूषण नई-नई बीमारियां पैदा करने के साथ ही हमारी उम्र भी घटा रहा है. खराब एयर क्वालिटी (Poor Air Quality) की वजह से उत्तर भारत में लोगों की उम्र 9 साल तक कम हो सकती है.
40% भारतीयों की उम्र 9 साल तक घटने का खतरा
शिकागो यूनिवर्सिटी के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 48 करोड़ यानी कुल जनसंख्या के करीब 40 प्रतिशत लोग गंगा के मैदानी क्षेत्र में रहते हैं, जहां प्रदूषण का स्तर बेहद ज्यादा है और इनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी 9 साल तक कम हो सकती है. प्रदूषण अब गंगा के मैदानों से आगे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फैल गया है, जहां खराब एयर क्वालिटी की वजह से लोगों की उम्र 2.5 से 2.9 साल कम हो सकती है.
उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर सबसे खतरनाक
एक्यूएलआई के रिपोर्ट के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, प्रदूषण के अनुमानित प्रभावों की तीव्रता उत्तर भारत में सबसे ज्यादा है. यह वह इलाका है, जहां वायु प्रदूषण का स्तर दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक है. अगर साल 2019 के जैसा प्रदूषण स्तर बना रहता है तो इन इलाकों में रहने वाले लोगों की उम्र 9 साल कम हो सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 में उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर चरम पर था. 2019 में भारत का औसत पार्टिकुलेट मैटर कंसंट्रेशन 70.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों से सात गुना ज्यादा है.
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भारत समेत इन देशों में भी खतरा
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल वायु गुणवत्ता को डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुरूप स्वच्छ बनाने में सफल हो जाएं तो औसत आयु 5.6 साल बढ़ जाएगी. वहीं अगर एक्यूआई को अगर मानक के अनुरूप नहीं किया गया तो लोगों की इतनी उम्र कम हो सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से मुक्ति दुनिया को औसत आयु में दो साल और सर्वाधिक प्रदूषित देशों को पांच साल की बढ़त दिला सकती है. भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं. ये दुनिया के पांच सर्वाधिक आबादी वाले देशों में शामिल हैं.
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