आप अपनी सेहत को लेकर कितने सजग हैं, इसका पता इस बात से चलेगा कि आप पूरे साल कितने रूटीन टेस्ट कराते हैं, जिससे जानलेवा बीमारियों का पहले ही पता चल सकता है.
Trending Photos
Importance of Routine Path Lab Tests: हेल्थकेयर के फील्ड में लगातार बदलावऔर तरक्की हो रही है. कई नई बीमारियों का भी खतरा पैदा होता रहता है. ऐसे हालात में रूटीन पैथोलॉजी लैब टेस्ट काफी जरूरी हो जाते हैं, क्योंकि ये शुरुआती स्टेज में जानलेवा स्थितियों का पता लगाने में अहम रोल अदा करते हैं. जैसे-जैसे आधुनिक जीवनशैली नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के इजाफे में योगदान करती है, रेगुलर हेल्थ स्क्रीनिंग तेजी से खास जरूरत बनती जा रही है. हार्ट डिजीज से लेकर कैंसर तक कई गंभीर बीमारियां अक्सर लक्षण दिखने से बहुत पहले हल्के बायोलॉजिकल मार्क शो करती हैं. रूटीन टेस्ट के जरिए इन मार्कर्स को पहचानने से सक्सेसफुट ट्रीटमेंट और लॉन्ग टर्म हेल्थ आउटकम की संभावनाएं काफी बढ़ सकती हैं.
रूटीन टेस्ट के पीछे का साइंस
रूटीन लैब टेस्ट को ओवरऑल हेल्थ की मॉनिटरिंग करने और उन एब्नार्मेलिटीज का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है जो सीरियस हेल्थ इश्यूज के इशारे दे सकती हैं. डॉ. समीर भाटी ने बताया कि हार्ट डिजीज, डायबिटीज और कुछ कैंसर जैसे कंडीशंस अक्सर चुपचाप पैदा होते हैं, जिससे शुरुआती पता लगाना अहम हो जाता है. मिसाल के तौर पर, बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर प्री-डायबिटीज का संकेत दे सकता है, जिससे पूरी तरह विकसित मधुमेह को रोकने के लिए शुरुआती दखल मुमकिन हो पाता है.
जरूरी टेस्ट कौन-कौन से हैं
1. कंप्लीट ब्लड काउंट (Complete Blood Count)
इसे सीबीसी (CBC) भी कहा जाता है, इसके जरिए रेड और व्हाइट ब्लड सेल्स के लेवल को मॉनिटर किया जा सकता है. इसकी मदद से अक्सर ल्यूकेमिया, एनीमिया या इंफेक्शन का पता लगता है.
2. लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (Lipid Profile Test)
इस टेस्ट के जरिए कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल का पता लगता है, जो कोरोनरी आर्टरी डिजीज के जोखिमों को उजागर करता है.
4. ब्लड ग्लूकोज टेस्ट (Blood Glucose Tests)
इसके जरिए डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों का पता लगाता है. मधुमेह को हार्ट डिजीज, किडनी फेलियर और न्यूरोपैथी के लिए एक अहम रिस्क फैक्टर माना जाता है.
5. लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट (Liver and Kidney Function Tests)
इन दोनों टेस्ट को शॉर्ट में एलएफटी (LFT) और केएफटी (KFT) कहा जाता है. ये लिवर और कडनी जैसे अहम अंगों की सेहत को एसेस करता है और क्रोनिक कंडिशन का पता लगाता है.
अर्ली डिटेक्शन से बच सकती है जान
रूटीन टेस्ट के जरिए अर्ली डायग्नोसिस लाइफ सेविंग हो सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कार्डियो वेस्कुलर डिसऑर्डर जैसी क्रोनिक डिजीज का जल्दी पता लगाने और इलाज से मृत्यु दर में 30% तक की कमी आती है. इसी तरह, जर्नल ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी (Journal of Clinical Oncology) में छपी स्टडी से पता चलता है कि शुरुआती स्टेज में पता लगाने से कैंसर के सर्वाइवल रेट में 50% का इजाफा होता है. रूटीन स्क्रीनिंग मेटास्टेसिस से पहले ट्यूमर की पहचान करने में मदद मिलती है, जिससे बीमारी के डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की इफिशिएंसी में सुधार होता है.
हाल के वक्त का ट्रेंड
हाल के सालों में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर एडोप्शन को अपनाने में इजाफा हुआ है. इस अपवॉर्ड ट्रेंड के जारी रहने की उम्मीद है, पूर्वानुमानों से पता चलता है कि इसका बाजार 2028 तक 541.36 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो 15.5% का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट को बनाए रखेगा. एआई ड्रिवेन पैथोलॉजी जटिल डेटासेट में पैटर्न की तेजी से पहचान करके शुरुआती डायग्नोसिस को और बढ़ा रही है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.