नई दिल्ली: उत्तर भारत में वायु प्रदूषण (Air Pollution) इतने घातक स्तर पर पहुंच गया है कि इसके चलते लोगों की आयु 7 साल कम हो गई है. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट द्वारा उत्तर भारत के एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकलन में यह बात निकल कर आई है कि यहां वायु प्रदूषण तीन गुना घातक स्तर पर पहुंच गया है. साल 1998 से 2016 के बीच भारत में कणिका तत्व (Particulate Matter) का प्रदूषण 69% बढा है. इसका नतीजा ये रहा कि 1998 में कणिका तत्व के प्रदूषण से भारत मे लोगों कि औसत आयु 2.2 साल कम हो रही थी वो साल 2016 से 4.3 साल कम हो रही है.


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1998 मे दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश बिहार में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मानकों के मुकाबले कणिका तत्व प्रदूषण 3-6 गुणा ज्यादा था और लोगों कि उम्र मे 2-5साल की कमी आ चुकी थी. अब 2016 मे  उत्तर प्रदेश के मामले में तो कणिका तत्व प्रदूषण में विश्वा स्वास्थ्य संगठन मानकों के मुकाबले 10 गुना वृद्धि हुई है और लोगों की उम्र 8.6साल घट चुकी है.



दिल्ली मे वायू गुणवता सबसे खराब
राजधानी दिल्ली में साल 2016 में कणिका तत्व एकाग्रता औसत (Particulate Matter Concentration Average) 113 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर थी. जो साल 1998 में 70 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर रही. साल 2016 तक यहां लोगों का जीवन से 10 साल तक कम हो गया.


रिपोर्ट के मुताबिक 1998 से 2016 के बीच भारत के इण्डो-गांगेटीक प्लेन में पर्टिकुलेट मैटर कन्संट्रेशन भारत के अन्य इलाकों की तुलना मे दोगुना ज़्यादा रहा है. 1998 के मुकाबले 2016 में इस इलाके मे प्रदूषण में 72% बढ़ा है. जिस वजह से 1998 में यहा जो संभावित आयु 3.4 साल तक घट रही थी, वो अब 7.1 साल तक घट रही है.


भारत में गंगा के मैदानी इलाकों में 48 करोड़ लोग रहते हैं. रिपोर्ट ने यातायात और कृषि स्रोतों को मुख्य वजह बताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत नेपाल के बाद दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है.