Ajit Doval in China: भारत-चीन के सीमा तंत्र के विशेष प्रतिनिधि, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को कई मुद्दों पर चर्चा की. जिसमें एलएसी पर शांति और स्थिरता का प्रबंधन और पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध की वजह से कारण चार साल से ज्यादा समय से जमे द्विपक्षीय संबंधों की बहाली शामिल है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डोभाल पांच साल के अंतराल के बाद आयोजित की जा रही विशेष प्रतिनिधियों की 23वें दौर की वार्ता में भाग लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे. पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी.


मीटिंग में क्या-क्या हुआ?


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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की वार्ता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि चीन ईमानदारी से मतभेदों को सुलझाने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि चीन और भारत के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम समझ को लागू करने, एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने, बातचीत और संचार के माध्यम से आपसी विश्वास को मजबूत करने, ईमानदारी और सद्भाव के साथ मतभेदों को ठीक से सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर और स्वस्थ विकास की पटरी पर लाने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है. 


बैठकर मसले सुलझाएंगे चीन-भारत


विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि दोनों एसआर सरहदी इलाकों में शांति और स्थिरता के प्रबंधन पर चर्चा करेंगे और सरहदी मतभेदों निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशेंगे, जैसा कि कज़ान में दोनों नेताओं की बैठक के दौरान सहमति हुई थी. एसआर की मीटिंग को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह संबंधों को बहाल करने के लिए दोनों देशों के बीच पहली बातचीत है.


2003 में बनी थी स्पेशल कमेटी


भारत-चीन सीमा के 3488 किलोमीटर लंबे और बेहद जटिल विवाद को व्यापक रूप से सुलझाने के लिए 2003 में बनाई गई विशेष प्रतिनिधि समिति की पिछले कुछ वर्षों में 22 बार बैठक हुई है. हालांकि सीमा विवाद को सुलझाने में इसे सफलता नहीं मिली, लेकिन दोनों पक्षों के अधिकारी इसे दोनों देशों के बीच बार-बार होने वाले तनाव को दूर करने में एक बहुत ही आशाजनक, उपयोगी और सुविधाजनक समिति बनाते हैं.


2020 में दोनों देशों के बीच ठप हुए रिश्ते


पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसके बाद उसी साल जून में गलवान घाटी में एक घातक झड़प हुई, जिसके नतीजे में दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया. व्यापार को छोड़कर, दोनों देशों के बीच संबंध लगभग ठप हो गए.