Ajit Pawar on Lok Sabha Election Result 2024: क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से महाराष्ट्र में बीजेपी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में दरार पड़नी शुरू हो गई है. यह मामला इसलिए तूल पकड़ रहा है क्योंकि आरएसएस के अंग्रेजी मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में प्रकाशित एक लेख में एनसीपी के साथ बीजेपी के गठबंधन की आलोचना की है. इस बारे में पूछे जाने पर अजित पवार सवाल को टाल गए और कहा कि इस वक्त उनका पूरा ध्यान प्रदेश के विकास और राज्य में जल्द होने वाले असेंबली चुनावों की तैयारियों पर है. 


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'मेरा सारा ध्यान आने वाले असेंबली चुनावों पर'


महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में प्रकाशित एक लेख से संबंधित सवालों को टालने की कोशिश करते हुए शुक्रवार को कहा कि उनका ध्यान विकास और आगामी विधानसभा चुनाव पर है. लेख में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ गठबंधन बनाये जाने की आलोचना की गई थी. 


'लोकतंत्र में अपनी राय व्यक्त करना सबका अधिकार' 


'ऑर्गेनाइजर' में प्रकाशित लेख के बारे में पूछे जाने पर एनसीपी अध्यक्ष और डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि वे इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते हैं. पुणे में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘चुनाव के बाद बहुत से नेता अपने विचार और राय व्यक्त कर रहे हैं. लोकतंत्र में अपनी राय व्यक्त करना उनका अधिकार है और मैं उन पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता.’


‘मैंने खुद का ध्यान विकास पर केंद्रित किया'


पवार ने कहा, ‘मैंने खुद का ध्यान विकास पर केंद्रित किया है कि हम कैसे अतिरिक्त सहायता प्रदान कर सकते हैं और अधिक विकास कार्यों को पूरा कर सकते हैं. मेरा प्रयास यह होगा कि हम महायुति के तौर पर कैसे नई ऊर्जा के साथ राज्य विधानसभा चुनावों का सामना कर सकते हैं.’ 


बता दें कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में शिवसेना, भाजपा और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होने हैं. राकांपा एक साल पहले ही शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हुई थी. 


'महाराष्ट्र में बीजेपी की सीटें 23 से घटकर 9 हुईं'


'ऑर्गेनाइजर' में आरएसएस विचारक की ओर से लिखे गए लेख में लोकसभा चुनाव परिणामों का बारीकी से विश्लेषण किया गया था. लेख में इन चुनाव नतीजों को अति आत्मविश्वासी भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए आंख खोलने वाला बताया गया है. इस लेख में महाराष्ट्र का भी संदर्भ था, जहां भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा और उसकी सीटों की संख्या 2019 की 23 से घटकर नौ रह गई. 


'शरद पवार दो-तीन साल में फीके पड़ जाते'


आरएसएस के आर्टिकल में कहा गया, ‘महाराष्ट्र अनावश्यक राजनीति और ऐसी जोड़तोड़ का एक प्रमुख उदाहरण है जिससे बचा जा सकता था. अजित पवार के नेतृत्व वाला राकांपा गुट भाजपा गठबंधन में शामिल हो गया जबकि भाजपा और विभाजित शिवसेना (शिंदे गुट) के पास आरामदायक बहुमत था. शरद पवार दो-तीन साल में फीके पड़ जाते क्योंकि राकांपा अपने भाइयों के बीच अंदरूनी कलह से ही कमजोर हो जाती.’


'यह गलत सलाह वाला कदम क्यों उठाया गया'


इसमें यह भी कहा गया, ‘यह गलत सलाह वाला कदम क्यों उठाया गया? भाजपा समर्थक आहत थे क्योंकि उन्होंने वर्षों तक कांग्रेस की इस विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, उन्हें सताया गया था. एक ही झटके में भाजपा ने अपनी ब्रांड वैल्यू कम कर ली. महाराष्ट्र में नंबर वन बनने के लिए वर्षों के संघर्ष के बाद आज वह सिर्फ एक और राजनीतिक पार्टी बन गई है और वह भी बिना किसी अलग पहचान वाली.’


(एजेंसी भाषा)