RSS New Strategy To Shed Regressive Image: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अपनाने पर जोर दिया. उनके इस कदम को आरएसएस की कथित ‘प्रतिगामी’ छवि से बाहर निकलकर युवाओं को आकर्षित की नई रणनीति का संकेत माना जा रहा है.
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RSS Chief Mohan Bhagwat Vision for Viksit Bharat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को प्रगतिशील, उदारवादी (लिबरल) और राजनीतिक विरोधी अक्सर पिछड़ेपन की ओर देखने वाला मानते और प्रचारित करते हैं. इसके जवाब में आरएसएस अब खुद को विज्ञान और नवाचार के समर्थक के रूप में स्थापित करने के लिए अपने प्रयास को आगे बढ़ा रहा है.
विज्ञान और शोध से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ बढ़े एआई का नैतिक उपयोग
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश को अब विकास के अपने खुद के मॉडल विकसित करने की जरूरत है, जिसका दुनिया अनुसरण कर सके. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि विकास के पश्चिमी मॉडलों ने प्रकृति और पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि विकास का ‘भारतीय’ विचार समग्र है, प्रकृति के साथ तालमेल में काम करता है. इसके साथ ही उन्होंने विज्ञान और उससे जुड़े शोध से जुड़े कई मुद्दों पर बात करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के नैतिक उपयोग की वकालत की. उन्होंने इसे 'विवेक और करुणा' के साथ लागू करने का आह्वान किया.
मोहन भागवत के साथ मंच पर एस सोमनाथ और कैलाश सत्यार्थी मौजूद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस सोमनाथ और शांति का नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ मोहन भागवत ने आरएसएस से प्रेरित संगठन भारतीय शिक्षण मंडल-युवा आयाम द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोधकर्ताओं के सम्मेलन ‘विविभा-2024: विकसित भारत के लिए दृष्टिकोण’ के उद्घाटन सत्र में अपने विचार रखे. सूत्रों के मुताबिक, कार्यक्रम में देश के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और नोबेल पुरस्कार विजेता की भागीदारी को आरएसएस की अपनी कथित प्रतिगामी छवि को बदलने की विकसित रणनीति और भारत के युवाओं को आकर्षित करने के प्रयासों को दर्शाती है.
आरएसएस के विजयादशमी समारोह में इसरो के पूर्व अध्यक्ष की भागीदारी
आरएसएस से जुड़े और शैक्षणिक क्षेत्र में काम कर रहे संगठन की ओर से यह आयोजन आरएसएस के विजयादशमी समारोह में इसरो के पूर्व अध्यक्ष को आमंत्रित करने के कुछ ही समय बाद हुआ है. यह आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी बदलावों के साथ खुद को जोड़ने के आरएसएस के प्रयास को दर्शाता है. क्योंकि आरएसएस को अक्सर उदारवादियों (लिबरल्स) और राजनीतिक विरोधियों द्वारा पिछड़ा हुआ कहकर खारिज कर दिया जाता है. इसलिए आरएसएस अब खुद को विज्ञान और नवाचार के समर्थक के रूप में फिर से स्थापित करने के एक सोचे समझे प्रयास का संकेत दे रहा है.
परंपरा को आधुनिकता से जोड़ने के लिए आरएसएस की रणनीतिक पहुंच
देश और दुनिया के माने हुए वैज्ञानिकों के साथ जुड़कर और एआई जैसे आधुनिक और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक विषयों पर बात कर आरएसएस अपने पर लंबे समय से लगाए जा रहे रूढ़िवादी और प्रतिगामी होने के आरोपों का मुकाबला करते हुए युवा पीढ़ी को आकर्षित करना चाहता है. एस सोमनाथ जैसे विज्ञान के क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति के साथ एआई पर भागवत की टिप्पणी, परंपरा को आधुनिकता से जोड़ने के लिए आरएसएस की रणनीतिक पहुंच को रेखांकित करती है, जो खुद को एक दूरदर्शी संगठन के रूप में प्रस्तुत करता रहा है.
देश ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ रहा, अगले 25 साल बहुत महत्वपूर्ण
मोहन भागवत की मौजूदगी में सभा को संबोधित करते हुए एस सोमनाथ ने कहा कि आने वाले 25 साल बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि देश ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, “विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए अनुसंधान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उद्योगों, स्टार्ट-अप, शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा कई अन्य क्षेत्रों की क्षमता और योग्यता को बढ़ाता है.”
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चंद्रमा को छुआ, अब मंगल, शुक्र और दूसरे ग्रहों पर मिशन को आगे बढ़ाएंगे
एस सोमनाथ ने कहा कि पहले ऐसे लोग थे जो इस तरह की परियोजनाओं पर ‘निवेश’ के तरीकों पर सवाल उठाते थे लेकिन इसरो ने इस पर धैर्य और सहनशीलता के साथ काम किया. उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और नवाचार के बिंदुओं को विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ने की जरूरत है. इसरो की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, “हमने चंद्रमा को छुआ है और आगे हम भविष्य में मंगल, शुक्र और दूसरे ग्रहों पर मिशन को आगे बढ़ाना चाहते हैं.”
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