All India Institute of Ayurvedic Science: कोरोना के 94% मरीज ठीक होकर घर लौटे, जानिए कैसे हो रहा है इलाज
कोरोना (Coronavirus) महामारी से जहां दुनियाभर में हायतौबा मची हुई है. वहीं दिल्ली में एक सरकारी संस्थान ऐसा भी है, जहां आयुर्वेद के जरिए कोरोना का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) महामारी का मुकाबला करने के लिए हाल ही में आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद (Ayurveda) की एक दवा को संक्रमितों को खिलाने की सलाह दी है. इस दवा का नाम आयुष 64 है. इस दवा के अलावा और भी कई तरीके कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो रहे हैं.
आयुर्वेद अस्पताल से 94% मरीज ठीक हो कर घर लौटे
जानकारी के मुताबिक दिल्ली (Delhi) के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक साइंस (All India Institute of Ayurvedic Science) से करीब 94% मरीज अपना इलाज करा कर सकुशल घर वापस लौट चुके हैं, वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के. दक्षिण दिल्ली में बने इस आयुर्वैदिक अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज उन्हें भर्ती करके किया जा रहा है. इस अस्पताल में काम करने वाले गौरव कोरोना (Coronavirus) संक्रमित हो गए थे. वे आयुर्वेद (Ayurveda) और योग से पूरी तरह से ठीक हो कर काम पर लौट आए हैं.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक साइंस (All India Institute of Ayurvedic Science) की निदेशक तनुजा नेसारी कहती हैं कि आयुष मंत्रालय ने हाल में आयुष 64 नाम की एक दवा को कोरोना संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल करने की सलाह दी है. यह दवा वर्ष 1980 में पहली बार मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की गई थी. देखने में यह आया है कि इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना (Coronavirus) मरीजों को भी फायदा हो रहा है
कोरोना बीमारी में कारगर हो रहा आयुर्वेद
इंस्टिटयूट के डॉक्टर राजगोपाल कहते हैं कि केवल इसी एक दवा से ही कोरोना (Coronavirus) मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है. इसके अलावा बुखार के लिए अलग दवा है. वहीं नाक और गले को इंफेक्शन से बचाने के लिए अणु तेल का प्रयोग किया जा रहा है. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा और च्यवनप्राश का इस्तेमाल किया जा रहा है.
जरूरत पड़ने पर एलोपैथिक दवाएं भी दी जा रहीं
अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक अगर ऑक्सीजन का स्तर 90 से नीचे जाने लगता है तो आयुर्वेद (Ayurveda) के साथ-सथ एलोपैथी की भी हल्की दवाएं शुरू कर दी जाती हैं. हालांकि उनका मानना है कि एलोपैथी में इस्तेमाल होने वाले स्टेरायड और दूसरी कुछ दवाओं से साइड इफेक्ट का खतरा रहता है जबकि आयुर्वेदिक दवाओं में ऐसा नहीं होता.
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मरीजों को खुश रखने के लिए बनाई गई आनंदी टीम
डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों पर लाइव स्क्रीन के जरिए नजर रखी जा रही है. उन्हें वक्त पर खाना, दवा देने और उनके मन को खुश रखने के लिए 'आनंदी' नाम की एक टीम बनाई गई है. डॉक्टरों का मानना है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) से लड़ने में शरीर की इम्युनिटी के साथ-साथ मानसिक तौर पर आशावादी रहना भी बहुत मदद करता है.
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