Caste Based Census In Bihar: उच्चतम न्यायालय ने बिहार में जातिगत जनगणना (Caste Based Census In Bihar) कराने के राज्य सरकार (Bihar Government) के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा है कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और उन्हें खारिज कर दिया. हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ताओं को छूट दी कि वे संबंधित उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिहार सरकार को राहत जरूर मिली है.


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सुनवाई से उच्चतम न्यायालय ने किया इनकार


पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि तो यह लोकप्रियता हासिल करने के इरादे से दाखिल याचिका है. हम कैसे यह निर्देश जारी कर सकते हैं कि किस जाति को कितना आरक्षण दिया जाना चाहिए. हम ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकते और इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं. उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें से एक याचिका एक गैर-सरकारी संगठन ने दाखिल की थी. न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं.


अधिसूचना को रद्द करने के लिए दाखिल की गई थी कई याचिकाएं


गौरतलब है कि एक याचिकाकर्ता ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया था. इस पर 11 जनवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस मामले पर सुनवाई 20 जनवरी को करेगी. अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के जरिए दायर जनहित याचिका में बिहार सरकार के उप-सचिव द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने और अधिकारियों को इस पर आगे बढ़ने से रोकने का अनुरोध किया गया था. याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार ने 6 जून 2022 को जारी बिहार सरकार की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया था.


(इनपुट: एजेंसी)


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