माना जा रहा है कि महाराष्ट्र और झारखंड की देखादेखी बिहार की सरकार भी महिलाओं के लिए कोई बड़ी स्कीम ला सकती है. हो सकता है कि अगले बजट में इसका ऐलान भी हो जाए, क्योंकि अगर कोई स्कीम नहीं आई तो विपक्ष मुद्दा बना सकता है. हालांकि एक सच ये भी है कि बिहार में महिलाओं के लिए कई सारी स्कीम पहले से चल रही है.
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महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद Zee Bihar Jharkhand ने उम्मीद जताई थी कि बिहार में भी मईयां सम्मान या फिर लाडली बहना जैसी कोई बड़ी स्कीम महिलाओं के लिए लांच की जा सकती है. आज बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन माकपा विधायक सत्येंद्र यादव ने महिलाओं के लिए कोई बड़ी योजना लांच करने की मांग की. सत्येंद्र यादव ने कहा, बिहार सरकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तौर पर केवल 400 रुपये दे रही है. इन चंद रुपयों से वृद्ध, विधवा महिलाओं को दो वक्त की रोटी तो छोड़िए, दो कप चाय भी नहीं मिल सकती.
सत्येंद्र यादव ने कहा, बिहार सरकार जो लोक कल्याण का ढोंग पीटती है, वह बुजुर्गों के साथ सौतेला बर्ताव कर रही है. हम चाहते हैं कि अगर नीतीश सरकार में जरा भी शर्म बची है तो केरल की तर्ज बुजुर्गों को पेंशन के तौर पर तीन हजार रुपये दे. वामपंथी पार्टियां सड़कों पर लड़ रही हैं और हम सदन में लड़ रहे हैं.
सत्येंद्र यादव ने कहा, आशा, ममता और जीविका अपनी मेहनत से बिहार का भविष्य सुरक्षित कर रही हैं, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार उन्हें जीविका के लिए मात्र 2,500 रुपये दे रही है. स्थिति बहुत खराब है और हम मांग करते हैं कि सरकार इन योजनाओं को स्थायी बनाए और 25,000 रुपये प्रतिमाह वेतन दे.
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बता दें कि बिहार में आशा वर्कर के तौर पर काम कर रही महिलाओं को महज 2,500 रुपये प्रति माह दिया जाता है. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कुछ इंसेंटिव भी दिया जाता है. आशा वर्करों को जन्म प्रमाणपत्र बनाने पर 300 रुपये, गर्भवती महिलाओं की लिस्ट बनाने पर 300 रुपये और बच्चों का टीकाकरण करने के लिए 300 रुपये दिए जाते हैं.