नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के लिए कई अहम राज्यों में गठबंधन बनाने के लिए प्रतिबद्ध बीजेपी ने चुनाव के लिए कांग्रेस समेत अपने विरोधियों पर शुरुआती बढ़त हासिल कर ली है. चुनाव में छोटे सहयोगियों द्वारा एक-एक प्रतिशत वोट जुटाने का भी अंतिम नतीजों पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है. 


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हालांकि बीजेपी के अपने कुछ सहयोगियों से कई बार असहज रिश्ते हुए है लेकिन कई नेताओं का मानना है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इन दलों को सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं जैसा कि उसने बिहार में सीटों के बंटवारे पर उदार रुख अपनाया. तमिलनाडु जैसे बड़े राज्य में कम प्रभाव होने के बावजूद उसने सत्तारूढ़ एआईएडीएमके से गठबंधन करके अपना संख्याबल बढ़ाया.


बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में जहां गठबंधन महत्वपूर्ण साबित होगा, वहां बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने पहले ही जगह बना ली है जबकि कांग्रेस अब भी अपने सहयोगियों के साथ समझौते पर काम कर रही है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के दो सहयोगियों अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अपनी समस्याएं जताई है लेकिन भगवा पार्टी के नेताओं ने भरोसा जताया कि वे राजग में बने रहेंगे.


सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि बीजेपी और विपक्ष के बीच अंतर आमतौर पर उद्देश्य में है जिसमें भगवा गठबंधन अपने विरोधियों के विपरीत है. विपक्ष के पास 'नेतृत्व को लेकर कोई स्पष्टता नहीं' है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारे पास नेतृत्व को लेकर स्पष्टता है और हमारा एजेंडा विकास पर आधारित है."  


महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना क्रमश: 25 और 23 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हो गई. शिवसेना अकेले चुनाव लड़ने की धमकी दे रही थी लेकिन उसे लोकसभा के साथ विधानसभा चुनावों में और सीटों की पेशकश देकर साध लिया गया. कांग्रेस ने अभी महाराष्ट्र में अपने सहयोगी एनसीपी और कर्नाटक में जेडीएस के साथ सीटों के बंटवारे पर सहमति कायम नहीं की है.


कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी गुजरात में मंगलवार को कांग्रेस कार्यकारी समिति की बैठक में गठबंधनों के मुद्दे पर चर्चा करेगी और आगामी दिनों में उन पर निर्णय लेगी. लोकसभा की 543 सीटों पर चुनाव सात चरणों में 11 अप्रैल से शुरू होंगे और 19 मई तक चलेंगे. मतगणता 23 मई को होगी.


बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, "हमने 2014 में अपने दम पर बहुमत हासिल किया था लेकिन हम फिर भी अपने सहयोगियों को सम्मान देते हैं. हालांकि विपक्षी दलों का गठबंधन पूरी तरह से नेताओं, सीटों और मोदी विरोधी विचारधारा पर आधारित है लेकिन भाजपा के गठबंधन का मतलब हमारे कार्यकर्ताओं और समर्थकों तक पहुंचना है." 


उन्होंने कहा, "विपक्ष का गठबंधन अपने नकारात्मक एजेंडा के कारण हर जगह बुरी स्थिति में है जबकि हमारे गठबंधन विकास और मजबूत नेतृत्व के सकारात्मक संदेश पर आधारित है." बीजेपी पूर्वोत्तर राज्यों में सभी बड़े गैर कांग्रेसी क्षेत्रीय दलों को अपने पाले में लाने में भी कामयाब रही है.