रेप की वारदातों के बीच जानिए निर्भया फंड का कहां हुआ इस्तेमाल, कौन से राज्य रहे फिसड्डी
निर्भया कांड के दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया. कई राज्यों की अदालतों ने महिलाओं खासकर नाबालिग और मासूम बच्चियों के साथ हैवानियत करने वालों को तीस दिन के रिकॉर्ड समय में फांसी की सजा सुनाई है. सरकारों की सख्ती के बावजूद ऐसे मामलों का बढ़ते जाना आधी आबादी के लिए शुभ संकेत नहीं है.
नई दिल्ली: राजस्थान के अलवर (Alwar) में एक बार फिर दिल्ली के निर्भया कांड की तरह एक 15 साल की लड़की के साथ रेप और दरिंदगी हुई है. अज्ञात बदमाशों ने पीड़िता के साथ हैवानियत के बाद उसे अलवर शहर की तिजारा पुलिया पर पटक दिया. देश में बलात्कार (Rape) की घटनाओं में कमी आने का नाम नहीं ले रही हैं.
भारत में हर एक बलात्कार की घटना के कुछ दिन बाद दूसरी बलात्कार की बड़ी घटना सामने आ जाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि 2012 में निर्भया गैंगरेप कांड (2012 Delhi Gang Rape) के बाद कानून में हुए बदलाव के बावजूद महिलाओं के प्रति यौन अपराधों में कमी क्यों नहीं आ रही है.
निर्भया फंड का इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा?
निर्भया कांड के कई साल बाद उसके दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया. 10 साल के इस लंबे अंतराल में देश के कई राज्यों की अदालतों ने महिलाओं खासकर नाबालिग और मासूम बच्चियों के साथ हैवानियत करने वालों को तीस दिन के रिकॉर्ड समय में फांसी तक की सजा सुनाई है. केंद्र और राज्य सरकारों की सख्ती के बावजूद ऐसे मामलों का बढ़ते जाना वाकई आधी आबादी के लिए शुभ संकेत नहीं है. इस बीच चर्चा उस निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) की भी हो रही है जिसका इस्तेमाल करने में राज्य सरकारें पिछड़ गई है.
निर्भया फंड के इस्तेमाल में ये राज्य रहे फिसड्डी
पांच राज्यों दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और यूपी ने कुल आवंटन का 57 फीसदी पैसा इस्तेमाल किया है.
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जानना चाहते हैं लोग
दरअसल साल 2012 में निर्भया गैंगरेप कांड (2012 Delhi Gang Rape) के बाद बने निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) का कितना उपयोग हो रहा है? आखिर कितने पीड़ितों को अब तक इस फंड से मदद मिल चुकी है? यूपीए सरकार से लेकर आज की मोदी सरकार तक इस फंड में कितना पैसा दिया गया और सरकारों ने निर्भया फंड पर कितना खर्च किया? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिसके बारे में लोग जानना चाहते हैं.
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कैसे हैं हालात?
दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक राज्य सरकार देश की आधी आबादी को सार्वजनिक बसों में सुरक्षित सफर मुहैया कराने में नाकाम साबित हुई है. हालात ये हैं कि दो साल से केंद्र सरकार को संशोधित बजट में कटौती करनी पड़ रही है, जो धनराशि जारी की गई उसका महज 45 फीसदी पैसा ही खर्च हुआ है. संसद की एक समिति ने केंद्र और राज्यों के इस रवैये की कड़ी आलोचना की है, समिति ने सुझाव दिया है कि सिक्योरिटी फोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उनकी गरिमा की रक्षा के लिए सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर प्रयास होने चाहिए.
केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 में सार्वजनिक सड़क परिवहन सेवा में महिला सुरक्षा योजना के तहत बजट में 174 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. पर बजट में संशोधित अनुमान राशि घटकर 140 करोड़ रुपये रह गई. वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए इसी सेफ्टी मद में आवंटित राशि में और कटौती करते हुए इस अमाउंट को 100 करोड़ कर दिया गया है. हैरत कि बात ये है कि इस वित्तीय वर्ष में सिर्फ जनवरी 2021 तक केवल 62 करोड़ रुपये किए गए हैं. पर्यटन और परिवहन से जुड़ी संसदीय समिति ने सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा को मुस्तैद करने के लिए बनाए गए निर्भया फंड में लगातार कटौती और आवंटित धन के खर्च न होने पर नाराजगी जताई है.
2018-19 का हाल
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोडल एजेंसी बनाने के बाद भी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकारों ने साल 2015 और 2018 के बीच महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड के तहत आवंटित बजट का 20% से भी कम उपयोग किया है. 2015 से 2019 के जून महीने तक 1 हजार 813 करोड़ रुपए कुल राशि बांटी गई है. साल 2018 तक तो सिर्फ 854 करोड़ 66 लाख रुपए ही आवंटित की गई थी.
क्या है निर्भया फंड
साल 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप कांड के बाद साल 2013-14 के आम बजट में निर्भया फंड की घोषणा हुई थी. निर्भया रेपकांड और हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. इस घटना के बाद ही केंद्र की तत्कालीन UPA सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक विशेष फंड की घोषणा की थी. इस फंड का नाम 'निर्भया फंड' रखा गया था.
बता दें कि इस फंड के जरिए पूरे देश में रेप पीड़ितों के लिए 600 से अधिक सेंटर बने थे, जहां पर पीड़िताओं को कानूनी और आर्थिक मदद मुहैया कराई जाने की बात कही गई थी. केंद्र सरकार ने उस समय साफ कहा था कि पीड़िता की पहचान छुपे रहेंगे और उसको कानूनी मदद सरकार की तरफ से दी जाएगी. इस फंड से सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगने की बात कही गई थी.