Amarnath Yatra 2024 Security: अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू हो रही है और जम्मू-कश्मीर सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता इसकी सुरक्षा है. जम्मू में हाल ही में हुए हमलों के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर राजमार्ग और अमरनाथ गुफा तक जाने वाले मार्गों की सुरक्षा के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है. जम्मू क्षेत्र में हाल ही में हुए कई हमलों के बाद पूरे केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा अलर्ट कर दिया गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

52 दिन चलेगी अमरनाथ यात्रा


3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा की 52 दिवसीय तीर्थयात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर में कई सुरक्षा समीक्षा बैठकें आयोजित की गई हैं. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए बालटाल और नुनवान आधार शिविर का दौरा किया है. इसके साथ ही प्रशासन, एसएएसबी, पुलिस, सीआरपीएफ, सेना, बीएसएफ़ और अन्य हितधारक विभाग बेहतर सुरक्षा और यात्रा प्रबंधन के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.


जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिरीक्षक वीके बिरदी ने भी आगामी अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा बैठक की. आईजीपी ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था और सुचारु संचालन के बारे में जानकारी दी. इसके साथ ही उन्हें जम्मू से लेकर पवित्र गुफा तक सभी यात्री शिविरों में मॉक ड्रिल करने का निर्देश दिया. किसी भी अप्रिय घटना या आतंकी हमले से निपटने के लिए सभी संवेदनशील स्थानों और शिविरों में हर सुरक्षा एजेंसी की त्वरित कार्रवाई टीमों (QRT)को अलर्ट पर रखा गया है.


नुनवान बेस कैंप में हुई मॉक ड्रिल


इसी के चलते पहलगाम के नुनवान बेस कैंप में मॉक ड्रिल की गई. ड्रिल में दो मोटर साइकिल सवार आतंकवादियों को बेस कैंप में घुसते हुए दिखाया गया. इसके बाद सुरक्षा और क्यूआरटी (त्वरित प्रतिक्रिया दल) ने अलर्ट जारी कर कैंप को घेर कर आतंकी हमले को नाकाम कर दिया.


पुलिस महा निरीक्षक कश्मीर जोन वीके बिरदी ने कहा, '2024 की वार्षिक यात्रा कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रही है. हमने कश्मीर घाटी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. हमने बहुस्तरीय व्यवस्था की है, ताकि तीर्थ यात्रियों को न केवल राजमार्ग पर बल्कि अंदरूनी इलाकों में भी सुगम और सुरक्षित यात्रा मिल सके. इन मार्गों पर बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है. इससे सरकार को यात्रा को सुचारु रूप से संचालित करने में मदद मिलेगी.'


शुरू किया गया हाई- टेक कमांड सेंटर


उन्होंने एक हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर भी शुरू किया गया है, जहां पर करीब 20 सरकारी विभागों के करीब 60 लोग दिन-रात काम करेंगे. हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर में काम करने वाले विभागों में जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्वास्थ्य, पीएचई, पीडीडी, दूरसंचार और कई अन्य शामिल हैं. बेस कैंप से लेकर गुफा तक पूरे रूट पर 17 से ज्यादा पीटीजेड हाई डेफिनिशन 360 डिग्री व्यू कैमरे लगाए जाएंगे. बालटाल और चंदनवारी बेस कैंप से लेकर रणनीति रूप से महत्वपूर्ण जगहों पर दर्जनों स्टैटिक कैमरे भी लगाए गए हैं.


आईजीपी कश्मीर ने कहा, 'कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है, इसकी बड़ी भूमिका है. यात्रा मार्ग पर सीसीटीवी भी लगाए गए हैं. आरएफआईडी पहले से ही मौजूद है, जिससे यात्रियों की पहचान में मदद मिलती है. यात्रियों का पहला जत्था 28 जून को जम्मू कैंप से रवाना होगा और उसी दिन पहलगाम के नुनवान और सोनमर्ग के बालटाल दोनों बेस कैंपों पर पहुंचेगा. यात्रियों के पहले जत्थे को 29 जून को गुफा की ओर बढ़ने की अनुमति दी जाएगी.


पर्वतीय टीमों ने भी किया बचाव अभ्यास


जम्मू-कश्मीर पुलिस की पर्वतीय बचाव टीमों ने पहलगाम के नुनवान बेस कैंप में मॉक ड्रिल भी की. किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, जम्मू-कश्मीर पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीएसएफ और सीआरपीएफ की टीमों को दोनों मार्गों के सभी महत्वपूर्ण जंक्शनों पर तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में यात्रियों तक जल्द से जल्द मदद पहुंचाई जा सके.


आईजीपी कश्मीर जोन वीके बिरदी ने बताया, 'आपदा से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हमने कई टीमें तैनात की हैं, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और कई अन्य टीमें तैयार हैं. इसके अलावा यात्रियों की आवाजाही के लिए कटआउट समय को ध्यान में रखते हुए यातायात को भी नियंत्रित किया जाता है.' तीर्थयात्रा पर जाने वाले सभी पंजीकृत यात्रियों को आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) प्रदान किया जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सभी तीर्थ यात्रियों को टैग किया गया है.