नई दिल्ली. कोराना वायरस के ज्यादा संक्रामक बताए जा रहे नए वैरिएंट Omicron को लेकर जहां अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में खलबली मची है, वहीं इसने भारत में भी दस्तक देकर सरकार और प्रशासन के साथ ही आमजन की चिंता बढ़ा दी है. इसकी संक्रामक प्रवृत्ति और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर देश में तमाम तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं. इन्हीं सब मुद्दों पर पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के हृदय रोग विज्ञान (कार्डियोलॉजी) विभाग के पूर्व प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ( K. Srinath Reddy) से बातचीत में कई बड़ी बातें सामने आईं.


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सवाल: Omicron ने भारत में दस्तक दे दी है और इसे लेकर दहशत का माहौल है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे बेहद संक्रामक बताते हुए चिंता जताई है. इस बारे में आपका क्या कहना है?


जवाब: जहां तक इसकी संक्रामक क्षमता का सवाल है तो यह सही है कि यह ज्यादा संक्रामक है. साउथ अफ्रीका और यूरोप के देशों में जिस स्पीड से यह फैला है, वो इसका सबूत भी है. वायरस का यह स्वरूप गंभीर रूप से बीमार करता है, अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है. बल्कि अभी तक जो भी चीजें सामने आई हैं, उससे पता चलता है कि कि संक्रमित लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराने की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे लोगों की जान नहीं जा रही है, जैसा कि हमें वायरस के डेल्टा स्वरूप में देखने को मिला था. रही बात वैक्सीन के प्रभाव की तो यह संभावना ज्यादा है कि वैक्सीन का असर कम हो जाए. क्योंकि वैक्सीन से बनने वाले एंटीबॉडी का स्तर कुछ समय बाद कम हो जाता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वैक्सीन वायरस से पूरी तरह हार जाएंगे.


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सवाल: इससे पहले कि ओमीक्रोन खतरनाक रूप धारण करे, सरकार को तत्काल क्या कदम उठाने चाहिए. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी प्रतिबंध की बात उठ रही है?


जवाब: सबसे पहले तो हमें इसके फैलने की गति को धीमा करना होगा. इसलिए मास्क पहनकर चलें ताकि वायरस हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सके. भीड़-भाड़ वाले जो कार्यक्रम हैं, उन पर प्रतिबंध लगना चाहिए. टीकाकरण की गति बढ़नी चाहिए. स्वास्थ्य पर इसके असर की लगातार निगरानी करते रहनी होगी. संक्रमण भले ही फैले लेकिन यदि यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है तो घर में ही इलाज का प्रबंध किया जाना चाहिए. बीमारी तीव्र हो तो जरूर अस्पतालों का भी प्रबंध किया जाना चाहिए. रही बात अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने कि तो मेरा मानना है इससे कुछ फायदा नहीं होने वाला है. चीन में जब यह महामारी आई तो कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया था, ब्रिटेन में अल्फा वेरिएंट आया तब भी हमने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया और डेल्टा स्वरूप के मामले में भी यही किया लेकिन इसके बावजूद हम इसे फैलने से नहीं रोक सके. लेकिन इसकी गति को हम थोड़ा कम कर सकते हैं, उड़ानों पर प्रतिबंध लगाकर. प्रतिबंध लगाने की बजाय जो यात्री विदेशों से आ रहे हैं, उनकी जांच की जाए और उनमें रोगों के लक्षण का पता लगाया जाए. उनके संपर्कों का पता किया जाना चाहिए.


सवाल: जब भी वायरस का कोई नया स्वरूप सामने आता है, देश में यह बहस छिड़ जाती है कि वैक्सीन इसके खिलाफ कारगर हैं या नहीं. हैं तो कौन सी वैक्सीन अत्यधिक प्रभावी है? बूस्टर खुराक की भी चर्चा होने लगती है. आप क्या कहेंगे?


जवाब: मैं पिछले अप्रैल महीने से ही कह रहा हूं कि ये जो वैक्सीन बनी हैं या फिर जिनका हम दुनिया भर में इस्तेमाल कर रहे हैं, वे गंभीर बीमारी को रोक सकते हैं लेकिन वायरस का संक्रमण फैलने से नहीं रोक सकते. संक्रमण को फैलने से रोकने का काम मास्क ही कर सकता है और वैक्सीन हमें सुरक्षा प्रदान करती है. इसलिए हमें वैक्सीन भी लगवानी हैं और मास्क भी पहनना है. रही बात बूस्टर खुराक की तो यह वैक्सीन के प्रभाव पर निर्भर करता है. कुछ वैक्सीन हैं जो तेजी से एंटीबॉडीज बढ़ा देती हैं. कुछ हैं कि जिनमें एंटीबॉडी का स्तर कुछ महीनों के बाद खत्म भी हो जाता है. हर वैक्सीन में फर्क है. बूस्टर खुराक देने से पहले यह देखना जरूरी होगा कि Omicron  कितने गंभीर रूप से बीमार कर रहा है.


सवाल: देशव्यापी वैक्सीनेशन अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 126.53 करोड़ से ज्यादा डोज लगाई गई हैं. इनमें से दोनों डोज सिर्फ 46,88,15,845 लोगों को ही दी गई हैं जबकि 79,56,76, 342 लोगों ने पहली डोज ली है. इस बारे में आपकी राय?


जवाब: हमें जल्दी से जल्दी वैक्सीन की दोनों खुराक देनी होंगी. वैक्सीनेशन कार्यक्रम को जल्द से जल्द पूरा किया जाना आवश्यक है. अगर यह साबित होता है कि Omicron से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है, तो बूस्टर डोज शुरू कर सकते हैं. इसमें भी 60 साल से अधिक उम्र या गंभीर बीमारी वालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.


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सवाल: लोगों के मन में बार-बार यह सवाल उठ रहा है कि क्या हर साल कोरोना वायरस का कोई न कोई स्वरूप आता रहेगा और हम इसी प्रकार भय के साये में जीने को मजबूर रहेंगे?


जवाब: हमारे बीच में रहने के लिए वायरस अपने स्वरूप में परिवर्तन करेगा. अलग स्वरूप भी आ सकता है. हमें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि हम इस वायरस को मिटा देंगे या खत्म कर देंगे. इसके खतरे को हम जरूर कम कर सकते हैं और उसे संकेत दे सकते हैं कि तुम्हें हमारे बीच में रहना है तो बीमारी ज्यादा मत फैलाओ. फिलहाल, घबराने वाली बात नहीं है क्योंकि ओमीक्रोन से अभी तक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर असर नहीं देखा गया है. यह हमारे लिए अच्छा संकेत है. इसलिए मास्क पहनें, भीड़-भाड़ से दूर रहें और वैक्सीन लगवाएं.


(इनपुट- भाषा)


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