राज्य सभा में क्यों गरजे गृह मंत्री अमित शाह? कहा- क्या बम धमाकों में मरने वालों का मानवाधिकार नहीं होता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) बुधवार को संसद में भड़क गए. उन्होंने मानवाधिकार के मुद्दे पर विपक्षी दलों को जमकर नैतिकता का पाठ पढ़ाया.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) बुधवार को संसद में फिर अपने पुराने रंग में दिखाई दिए. राज्य सभा (Rajya Sabha) में बोलते हुए गृह मंत्री ने कहा कि केवल आतंकियों का ही मानवाधिकार नहीं होता बल्कि उनके हाथों मारे गए बेगुनाह लोगों का भी मानवाधिकार होता है. फिर कभी उनकी बात क्यों नहीं उठाई जाती.
राज्य सभा में बुधवार को बिल पेश
गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को सरकार की ओर से राज्य सभा (Rajya Sabha) में पेश किए गए द क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिटीफिकेशन बिल 2022 (The Criminal Procedure Identification Bill 2022) पर बोल रहे थे.
'क्या बेगुनाहों का नहीं होता मानवाधिकार'
अमित शाह (Amit Shah) ने कहा, 'मैं मानता हूं कि जो लोग आतंकी और आपराधिक मामलों में पकड़े जाते हैं, उनका मानवाधिकार होता है. लेकिन कभी उन लोगों की बात क्यों नहीं की जाती, जो उन आतंकियों के धमाके में मारे जाते हैं या दिव्यांग हो जाते हैं. क्या उन लोगों का कोई मानवाधिकार नहीं होता.'
उन्होंने कहा कि देश में आतंक फैला रहे दहशतगर्दों और अपराधियों पर कानून का शिकंजा कसने के लिए यह बिल लाया गया है. इस बिल का उद्देश्य आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में केस साबित करवाने के लिए पुलिस और फोरेंसिक टीमों को वैज्ञानिक सबूत जुटाने के लिए नए अधिकार देना है. इस बिल से नागरिकों की गोपनीयता को कोई खतरा नहीं है.
ये भी पढ़ें- संसद में PM मोदी से मिले NCP चीफ शरद पवार, करीब 20 मिनट चली मुलाकात
'हमारा कानून दूसरों के मुकाबले बच्चा'
गृह मंत्री ने कहा, 'हमारा कानून दूसरे देशों की तुलना में सख्ती के मामले में बच्चा है. दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में इससे भी कड़े कानून हैं. यही वजह है कि उनके यहां आपराधिक मामलों में सजा की दर बेहतर है.'
अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि यह विधेयक आपराधिक मामलों में पकड़े गए आरोपियों के रेटिना, फुटप्रिंट आदि का रिकॉर्ड बनाने का अधिकार देता है. इस बिल के पास होने के बाद जब भी कहीं घटना होगी तो पुलिस के पास मौजूद रिकॉर्ड के आधार पर आरोपियों तक पहुंचा जा सकेगा.
LIVE TV