केवल मेनका ही नहीं गांधी परिवार की इस महिला ने भी खोला था इंदिरा के खिलाफ मोर्चा!
गांधी परिवार में मेनका गांधी के अलावा एक और ऐसी महिला हुई है जिसने इंदिरा गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने न केवल इमरजेंसी के लिए इंदिरा गांधी की आलोचना की थी, बल्कि विरोधियों से भी हाथ मिला लिया था.
नई दिल्ली: गांधी परिवार और कांग्रेस का अटूट नाता है. एक से एक कद्दावर नेता आए-गए, सरकारें बनीं-बिगड़ीं, खुद कांग्रेस कई बार बिखरी-सिमटी लेकिन एक चीज कभी नहीं बदली, वो है पार्टी पर परिवार का वर्चस्व. हालांकि कुछ दौर ऐसे भी आए जब गांधी परिवार के अंदर फूट पड़ीं और घर की लड़ाई चुनाव के मैदान में आमने-सामने के मुकाबले में बदल गई. इस बारे में बात होते ही लोगों के जेहन में मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का नाम तुरंत कौंध जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे स्व. संजय गांधी की पत्नी और बेटे बीजेपी में हैं और चुनाव में अपने ही परिवार के सदस्यों को टक्कर दे चुके हैं. लेकिन इसके अलावा इस परिवार में एक और महिला ऐसी हुई हैं, जिनकी इंदिरा गांधी से सीधे तौर पर ठन गई थी.
भाई-बहन की सबसे ताकतवर जोड़ी
जवाहरलाल नेहरू की बहन यानी कि इंदिरा गांधी की बुआ विजयलक्ष्मी पंडित स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में जमकर सक्रिय रहीं. देश को आजादी मिली तो रूस, अमेरिका में राजदूत रहीं. बाद में महाराष्ट्र की गवर्नर भी बनीं. वहीं आजादी से पहले वे मंत्री बनने वाली पहली महिला का सम्मान भी हासिल कर चुकी थीं. अपने भाई जवाहरलाल नेहरू से 11 साल छोटी होने के बाद भी वे राजनीति में खूब छाई रहीं. कह सकते हैं कि भारत के इतिहास में भाई-बहन की इतनी ताकतवर जोड़ी फिर कभी नहीं हुई. हालांकि विजयलक्ष्मी पंडित और उनकी भतीजी इंदिरा की कभी बनी नहीं.
सगी बुआ ने ही खोल दिया था इंदिरा के खिलाफ मोर्चा
इंदिरा गांधी अपने दबंग स्वभाव के लिए मशहूर रही हैं. बात जब पार्टी पर नियंत्रण रखने की हो तो पूरा गांधी परिवार एक रंग में रंगा हुआ ही दिखता है. जब विजयलक्ष्मी पंडित का पार्टी में कद बढ़ गया तो इंदिरा ने उनके साथ वैसा ही सलूक किया जो संजय गांधी ने कांग्रेस के भीतर उनकी धाक पर उंगली उठाने वालों के साथ किया था. एक समय तो हालत ये हो गई थी कि विजयलक्ष्मी पंडित को विदेश जाने के लिए इंदिरा गांधी की अनुमति लेनी पड़ती थी.
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ऐसी स्थिति की कल्पना करना भी मुश्किल था लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. खुद की अनदेखी होते देख जब इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई तो किसी ने नहीं की थी. यही वजह रही कि खटास बढ़ती गई और विजयलक्ष्मी पंडित ने इमरजेंसी लागू करने के लिए इंदिरा की जबर्दस्त आलोचना की. इतना ही नहीं उन्होंने इंदिरा से अलग होने वाले जगजीवन राम के साथ न केवल हाथ मिलाया, बल्कि चुनाव में इंदिरा को हराने के लिए जमकर प्रचार भी किया. वे अपने मकसद में कामयाब हुईं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी जनता पार्टी ने जीत हासिल की और रामनरेश यादव नए सीएम बने.
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घर में आना-जाना तक हुआ बंद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी तारा ने पत्रकार कुलदीप नैयर से एक बार कहा था कि एक समय था जब हमारा कुत्ता भी बेधड़क होकर मामू (जवाहरलाल नेहरू) के घर में उछल कूद मचाता था. लेकिन अब तो हमारे लिए ही दरवाजे बंद हैं.