Artificial Rain Technology: बारिश का इंतजार हर किसी को होता है क्योंकि बारिश ही चिलचिलाती गर्मी से राहत दिलाती है. हर साल गर्मी का मौसम आते ही लोग मानसून का इंतजार करने लगते हैं. भारतीय वैज्ञानिकों ने इस दिशा में अनोखा कारनामा कर दिखाया है. 'कृत्रिम बारिश' तकनीक का विकास कर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IIT-K) के वैज्ञानिकों ने सभी को चकित कर दिया है. इसे तकनीक को तैयार करने में छह साल का अनुसंधान और विकास लगा. ब्रेकथ्रू तकनीक को कृत्रिम रूप से बारिश की स्थिति बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो शुष्क मौसम और वायु प्रदूषण से लड़ने में मदद कर सकती है.


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क्लाउड सीडिंग के लिए आईआईटी-कानपुर ने अपनी 'कृत्रिम बारिश' तकनीक की प्रभावशीलता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया. यह प्रयोग नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के उचित प्राधिकरण के साथ आयोजित किया गया था. यह टेस्ट फ्लाइट इस तकनीक के व्यावहारिक कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई.


इस कृत्रिम बारिश परियोजना का नेतृत्व आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने किया. उन्होंने कहा, "इस दिशा में हमारी क्षमताओं का सफल परीक्षण हो चुका है."


उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 में बुंदेलखंड में कृत्रिम बारिश की पेशकश के लिए आईआईटी-कानपुर से संपर्क किया था. लेकिन इसे अंजाम तक पहुंचाने में छह साल लग गए. सबसे पहले इस तकनीक को बनाने वाले चीन ने भारत को इसे देने से इनकार कर दिया था. परिणामस्वरूप, आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने स्वयं शोध करने और आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने का निर्णय लिया.


परीक्षण के दौरान एक सेसना विमान ने आईआईटी कानपुर के हवाई क्षेत्र से 5,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरी.