Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल का गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला निजी है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया जाए.


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हाईकोर्ट ने क्या कहा?


हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि केजरीवाल की गैरमौजूदगी में दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी के स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को फ्री किताबें, राइटिंग मटीरियल और वर्दी के बिना पहला सेशन पूरा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. अदालत ने कहा कि दिल्ली जैसी बिजी राजधानी ही नहीं किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है.


यह एक ऐसा पद है जहां पद संभालने वाले को बाढ़, आग और बीमारी जैसी प्राकृतिक आपदा या संकट से निपटने के लिए 24 घंटे सातों दिन मौजूद रहना पड़ता है.


 कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस पीएस अरोड़ा की बेंच ने कहा, 'राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित की मांग है कि इस पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित समय के लिए संपर्क से दूर या गैरमौजूद न रहे. यह कहना कि आदर्श आचार संहिता के दौरान कोई भी अहम निर्णय नहीं लिया जा सकता ठीक नहीं है.' 


NGO ने क्या कहा?


अदालत गैर सरकारी संगठन (NGO) 'सोशल जूरिस्ट' की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. एनजीओ का पक्ष अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने रखा. याचिका में नए एजुकेशन सेशन की शुरुआत के बाद भी एमसीडी के स्कूलों में स्टूडेंट्स को स्टडी मटीरियल और बाकी जरूरी चीजों की सप्लाई न होने का मुद्दा उठाया गया है. 


हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि एमसीडी स्कूलों के छात्र अपने संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के मुताबिक, मुफ्त किताबों, स्टडी मटीरियल और वर्दी के हकदार हैं, और स्कूल जल्द ही गर्मी की छुट्टियों के लिए बंद होने वाले हैं, इसलिए एमसीडी कमिश्नर को आदेश दिया जाता है कि वे पांच करोड़ रुपये की खर्च सीमा से बाधित हुए बिना कामों को पूरा करने के लिए जरूरी खर्च करने के लिए कार्रवाई करें.


(PTI इनपुट के साथ)