Congress Vs Arvinder Singh Lovely: अरविंदर सिंह लवली ने प्रदेश रविवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था. माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने को लेकर वह पार्टी अलाकमान से नाराज चल रहे थे. अब उन्होंने जी न्यूज के साथ कई मुद्दों पर एक्सक्लूसिव बातचीत की. 


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जब पूछा गया कि चुनाव चल रहे हैं और ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का काम होता है नाराजगी दूर करना लेकिन आप तो खुद नाराज होकर बैठ गए? इस पर लवली ने कहा, मैं नाराज नहीं हूं. मैं कार्यकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पा रहा हूं. इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया. मैंने तो कांग्रेस अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेजा था, लेकिन पता नहीं किसने उसे लीक कर दिया. आपके पास भी मेरा खत है, क्या मैंने आपको दिया है. यह जांच का विषय है कि पत्र आखिर लीक हुआ कहां से है. 


कार्यकर्ताओँ के लिए दिया इस्तीफा


लवली ने आगे कहा, 'मैं दिल्ली में कांग्रेस का अध्यक्ष हूं. इससे ऊपर तो पद मिल नहीं सकता मुझे पार्टी में. मैंने अपने लिए नहीं बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए इस्तीफा दिया है.जो खत मैंने भेजा था उसमें मैंने कारण गिनाए थे. '


अगला सवाल उनसे पूछा गया कि दिल्ली कांग्रेस प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया ने यह कहा है कि आप पर दबाव है? लवली ने इस पर कहा, वो उनकी राजनीतिक समझ है. उनको मालूम होना चाहिए कि मैं साल 2017 में बीजेपी में गया था. अगर कोई दबाव होता तो वापस ही क्यों आता. उनको दिल्ली की राजनीति के बारे में ज्यादा समझ नहीं है. अरविंदर सिंह लवली ने आगे कहा, मैंने जो खत भेजा था 14 पॉइंट का, उसे लेकर मेरी मंशा यही थी कि उस पर पार्टी आलाकमान सोचे. वो  उन्होंने पढ़ा भी नहीं होगा और उससे पहले ही मेरा इस्तीफा मंजूर कर लिया गया.  


'अभी सारे नेता बिजी हैं'


जब पूछा गया कि आपने 14 पॉइंट जो खत में लिखकर भेजे थे क्या उन पर पार्टी आलाकमान ने आपसे कोई संपर्क किया है?


जवाब में लवली ने कहा, ये सारे लोग व्यस्त हैं. अभी देश भर में रैलियां चल रही हैं. इस्तीफा जल्दी मंजूर कर लिया लेकिन खत पढ़ने में समय लेंगे. दिल्ली भी अहम है के सवाल पर लवली ने आगे कहा, अहम क्या है ये तो वही लोग तय करेंगे. 


जब कन्हैया कुमार या अन्य उम्मीदवारों के चयन को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह कहना एकदम गलत है कि मैं उम्मीदवारों के चयन को लेकर खफा हूं. उम्मीदवारों का चयन करना हाईकमान का काम है. प्रदेश अध्यक्ष कार्यकर्ताओं के विचार रखता है. लेकिन पीसीसी का सम्मान रखना भी जरूरी है.