नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र को 18 साल से बढ़ाकर पुरुषों के बराबर 21 साल करने का फैसला किया है. इसे लेकर कैबिनेट ने बुधवार को पुरुषों और महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु में एकरुपता लाने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है. साथ ही मौजूदा सत्र में इससे जुड़ा विधेयक संसद में पेश किया जा सकता है. 


'सारे अधिकार हैं तो शादी का क्यों नहीं?'


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सरकार के इस फैसले पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुस्सा जाहिर किया है. उन्होंने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार पहले बताए कि 18 साल के बच्चों के ह्यूमन डेवलपमेंट के लिए आखिर क्या किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि 18 साल के नागरिक को सारे अधिकार दिये हैं, यहां तक कि लीविंग रिलेशन से जुड़ा कानून सरकार ने ही बनाया है.


उन्होंने तंज करते हुए कहा कि आप सरकार हैं, मौहल्ले के चाचा नहीं. ओवैसी ने कहा कि इस कानून से कोई फायदा नहीं होगा और न ही इससे महिलाओं का भला होने वाला है. ओवैसी ने कहा कि संसद में हम इस विधेयक का विरोध करेंगे.


'सांसद-विधायक चुनने का हक'


ओवैसी ने कहा कि 18 साल के पुरुष और महिलाएं वोट देकर देश का प्रधानमंत्री चुन सकते हैं, सांसदों और विधायकों का चुनाव कर सकते हैं तो शादी क्यों नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि कानून होने के बाद भी अदालतों में दहेज एक्ट के कितने केस चल रहे हैं, कितनी महिलाओं के पति उन्हें दहेज के लिए मारते-पीटते हैं, कानून के बाद भी यह सब हो रहा है.


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सूत्रों के अनुसार, सरकार बाल विवाह (रोकथाम) अधिनियम, 2006 को संशोधित करने संबंधी विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ला सकती है. यह प्रस्तावित विधेयक विभिन्न समुदायों के विवाह से संबंधित पर्सनल लॉ में अहम बदलाव की कोशिश कर सकता है ताकि विवाह के लिए उम्र में एकरूपता सुनिश्चित की जा सके.


मौजूदा कानूनी प्रावधान के तहत लड़कों के विवाह लिए न्यूनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल तय है.


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