नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) पर चीन (China) से तनातनी के बीच भारत लगातार अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा कर रहा है. दुश्मन देश का सामना करने के लिए भारत की सैन्य ताकत में अब विश्व की सबसे बड़ी गन भी शामिल हो चुकी है. एटीएजीएस हॉवित्जर तोप (ATAGS howitzer) नाम की ये तोप अपने आप में बेमिसाल है.


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DRDO ने किया ऐलान
ओडिशा के बालासोर परीक्षण-फायरिंग रेंज में डीआरडीओ ने इसके परीक्षण के बाद कामयाबी का ऐलान किया. डीआरडीओ (DRDO ) के शीर्ष वैज्ञानिक का कहना है कि ''यह दुनिया की सबसे बड़ी बंदूक है.'' 


किसी देश ने पास नहीं ये गन
डीआरडीओ के ATAGS प्रोजेक्ट डायरेक्टर शैलेन्द्र गाडे ने कहा, 'यह दुनिया की सबसे अच्छी बंदूक है. भारत छोड़ अभी तक कोई भी देश इस तरह की बंदूक प्रणाली विकसित नहीं कर पाया है.' उन्होंने ये भी कहा, 'यह स्वदेशी बंदूक भारतीय सेना की 1800 आर्टिलरी गन्स सिस्टम की जरूरत पूरा करने में सक्षम है. इसलिए अब इस तरह की एडवांस गन बाहरी देश से खरीदने की जरूरत नहीं होगी. 


रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता भारत
ATAGS बंदूक (Advanced Towed Artillery Gun System) DRDO द्वारा विकसित की गई जिसका उत्पादन भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने किया है. DRDO के अनुसार, इस तोप को तीन साल के भीतर डिजाइन किया गया और परीक्षण के लिए रखा गया. जल्द ही, इसको पीएसक्यूआर परीक्षणों के अधीन किया जाएगा. हम उम्मीद कर रहे हैं कि तोपखाना प्रणाली क्षेत्र में भारत के पास सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.


 



 


2000 से अधिक Test Fire कामयाब
ओडिशा से पहले डीआरडीओ ATAGS होवित्जर चीन सीमा के पास सिक्किम और पाकिस्तान बॉर्डर के नजदीक पोखरण में भी इसकी टेस्ट फायरिंग कर चुका है. अब तक ये तोप 2000 से अधिक गोले दाग चुकी है. ATAGS प्रोजेक्ट डायरेक्टर शैलेन्द्र गाडे ने कहा, ''गन सिस्टम भारतीय सेना के दिग्गज बोफोर्स (legendary Bofors) और दुनिया की किसी भी अन्य तोप से बेहतर था, जिसमें इजराइल द्वारा पेश की गई ATHOS गन भी शामिल थी.


ATAGS की खासियत
'ATAGS' गन खुद से 25 किलोमीटर प्रति घंटा मूव कर सकती है. इसकी क्षमता 52 कैलिबर राउंड्स है, जबकि बोफोर्स की क्षमता 39 कैलिबर थी. खास बात ये कि चीन (China) से निपटने में तो ये तोपें काफी कारगर साबित हो सकती हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में भारत चीन से लगती सीमा पर अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन तोपों को तैनात किया जा सकता है. 


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इस गन तक नहीं पहुंच सकता दुश्मन
DRDO के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने बताया कि 'दुश्मन देश इस बंदूक का मुकाबला नहीं कर सकेंगे और न ही इस तक पहुंचने में अपनी सामर्थ नहीं जुटा सकते. कोई इसकी स्ट्राइक रेंज से आठ किलोमीटर पीछे हो सकता है फिर भी निशाना नहीं बना सकता.'


बता दें एडवांस टावर आर्टिलरी गन 48 किलोमीटर दूरी तक अपना सटीक निशाना लगा सकती है.  लिहाजा यदि किसी ने इसके पास आने की जुर्रत की तो उसका विनाश निश्चित है. आपको बता दें कि 1980 के बाद से इंडियन आर्मी की आर्टिलरी में कोई नई तोप शामिल नहीं की गई. बोफोर्स समझौते में हुए विवाद के बाद ये हालात बने. इसके अलावा भारत बोफोर्स का अपग्रेडेड वर्जन धनुष नाम से देश में तैयार कर रहा है. फाइनल ट्रायल जारी है. गौरतलब है कि सरकार स्वदेशी तकनीक के जरिए हथियारों को बनाने पर जोर दे रही है, ताकि देश को रक्षा क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर (Aatm Nirbhar Bharat) बनाया जा सके. 


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