नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर कहते थे कि 'हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं'. अपनी इसी सोच के साथ वे पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोशिश करते रहे. उन्होंने इसके लिए ना सिर्फ राजनीतिक कोशिशें की, बल्कि खेलों का भी इस्तेमाल किया. उन्होंने 2004 में भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान दौरे पर जाने की इजाजत दी. टीम 1989 के बाद पहली बार पूर्ण सीरीज के लिए पाकिस्तान जाने वाली थी. वाजपेयी ने इस दौरे से पहले कप्तान सौरव गांगुली और उनकी टीम को बुलाया. वाजपेयी ने सौरव को बैट भेंट की, जिस पर उनकी 'अमन की खेलनीति' दर्ज थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वाजपेयी की अमन की आशा और पाकिस्तान का कारगिल युद्ध
प्रधानमंत्री वाजपेयी ने फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर के लिए बस सेवा शुरू करवाई, ताकि दोनों देशों के लोग करीब आ सकें. पर पाकिस्तान ने इस अमन की आशा का जवाब धोखे से दिया. बस यात्रा शुरू होने के तीन महीने बाद ही पाकिस्तान ने कारगिल में युद्ध छेड़ दिया. भारत ने यह लड़ाई तीन महीने में जीती. इसके कुछ साल तक दोनों देशों के संबंध खराब रहे. वाजपेयी ने एक बार फिर दोनों देशों की कटुता खत्म करने की पहल की और 2004 में भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान जाने की इजाजत दे दी. 

सौरव गांगुली को बैट में लिखकर दिया दोस्ती का पैगाम
वाजपेयी ने पाकिस्तान जाने वाली टीम के कप्तान सौरव गांगुली को बुलाया. वाजपेयी ने सौरव को एक बैट गिफ्ट किया. इस बल्ले पर एक संदेश लिखा था, जिसकी खूब चर्चा हुई। इसमें लिखा था, 'खेल ही नहीं, दिल भी जीतिए, शुभकामनाएं।' वाजपेयी जी चाहते थे कि भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान में खूब प्यार मिले और दोनों देशों के बीच कड़वाहट कम हो सके। 

गांगुली की टीम ने सीरीज भी जीती और दिल भी जीता 
यह सीरीज मार्च-अप्रैल में खेली गई. सौरव गांगुली की टीम ने पाकिस्तान को वनडे सीरीज में 3-2 से हराया. फिर टेस्ट सीरीज भी 2-1 से जीती. यह पहला मौका था जब किसी टेस्ट सीरीज में भारत ने पाकिस्तान को उसके घर में हराया. वीरेंद्र सहवाग ने मुल्तान में 309 रन की पारी खेली थी, जिसके बाद उन्हें 'मुल्तान का सुल्तान' नाम से जाने जाना लगा। इस दौरे पर लक्ष्मीपति बालाजी की स्माइल खूब चर्चा में रही.