PM Modi Podcast: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के पॉडकास्ट में अपने बचपन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सीएम बनने के बाद की अपनी कुछ इच्छाओं के बारे में भी बताया.
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PM Modi Podcast: जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक पॉडकास्ट किया. इस पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि बचपन में घर-द्वार छोड़ने के बाद जब वह राजनीति में आए और गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने स्कूल के दोस्तों, सभी शिक्षकों, वृहद परिवार और संन्यासी के रूप में जीवन यापन के दौरान पेट भरने वालों को मुख्यमंत्री आवास पर आमंत्रित कर अपनी चार प्रमुख इच्छाओं को पूरा किया था.
बता दें, प्रधानमंत्री मोदी का यह पहला पॉडकास्ट है, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर शेयर किया है. बचपन के किसी दोस्त से आज भी संपर्क में होने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि उनका मामला थोड़ा विचित्र है, क्योंकि बहुत छोटी आयु में ही उन्होंने घर छोड़ दिया था, 'मतलब सब कुछ, मैं किसी से संपर्क में नहीं था. उन्होंने कहा कि बहुत बड़ा अंतराल हो गया, मेरा किसी से संपर्क नहीं रहा. किसी से लेना देना भी नहीं था, मेरी जिंदगी ऐसे ही अनजान भटकते इंसान की तरह थी. कोई पूछेगा मुझे, मेरे जीवन ही ऐसा नहीं था. उन्होंने कहा कि, जब वह मुख्यमंत्री बने तो उनके मन में कुछ इच्छाएं थीं, जो उन्होंने पूरी कीं.
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मोदी ने कहा, एक इच्छा थी कि मेरे क्लास के जितने भी पुराने दोस्त थे, सबको मैं मुख्यमंत्री आवास में बुलाऊं. उसके पीछे मेरा मनोविज्ञान यह था कि मैं नहीं चाहता था कि किसी को यह लगे कि मैं कोई तीस मार खां बन गया हूं. मैं वही हूं जो सालों पहले गांव छोड़कर गया था. मुझ में बदलाव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि वह उस पल को जीना चाहते थे, लेकिन इस मुलाकात के बीच इतना बड़ा अंतराल हो गया था कि वह चेहरे से भी किसी को पहचान नहीं पा रहे थे, क्योंकि सब बड़े हो गए थे और बाल भी सफेद हो गए थे.
पीएम मोदी ने कहा, शायद 30-35 लोग इकट्ठे हुए थे. रात को खाना खाया, गपशप मारकर बचपन की यादें ताजा कीं, लेकिन मुझे बहुत आनंद नहीं आया, इसलिए नहीं क्योंकि मैं दोस्त खोज रहा था बल्कि उन्हें मुझमें मुख्यमंत्री नजर आता था. उन्होंने कहा कि उनके एक शिक्षक थे जो उन्हें हमेशा चिट्ठी लिखते थे और उनमें वह उन्हें 'तू' लिखते थे.
मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी एक और इच्छा थी कि वह अपने उन शिक्षकों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करें, जिन्होंने बचपन में उन्हें पढ़ाया था. जो भी मेरे शिक्षक रहे, मैंने सबको ढूंढा और मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने उनका सार्वजनिक सम्मान किया. मोदी के सीएम मोदी बनने में इन सभी का योगदान था और उन्हें सम्मानित करना उनके जीवन का बहुत अच्छा पल था.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके बाद उन्होंने अपने भाई-बहन और वृहद परिवार को मुख्यमंत्री आवास बुलाया. उनकी एक इच्छा उन लोगों से मिलने की थी, जिन्होंने उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में जीवन व्यतीत करने के दौरान खाना खिलाया था. उन सभी को मुख्यमंत्री आवास बुलाया था.
मोदी ने बचपन के दिनों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वह एक सामान्य विद्यार्थी थे. उनमें कुछ ऐसा नहीं था कि जिससे लोग उनका संज्ञान लेते. उन्होंने कहा कि उनके एक शिक्षक जब उनके पिताजी से मिलने आए थे तब उन्होंने कहा था कि यह हर चीज इतनी जल्दी समझता है और फिर अपनी दुनिया में खो जाता है.
पढ़ाई में जब प्रतियोगिता का भाव आता था तो मैं उससे शायद दूर भागता था, लेकिन बाकी गतिविधियों में बहुत भाग लेता था. कुछ नई चीज है तो पकड़ लेना. यह मेरी प्रवृत्ति थी. प्रधानमंत्री ने इस दौरान एक किस्सा भी सुनाया. उन्होंने बताया कि बचपन में उन्होंने कुश्ती का भी अभ्यास किया, लेकिन वह खिलाड़ी नहीं बन सके.
(भाषा)
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