Atique Ahmed Crime History: माफिया से नेता बने अतीक अहमद (Atique Ahmed) और उसके भाई अशरफ अहमद (Ashraf Ahmed) की शनिवार (15 अप्रैल) रात प्रयागराज में ती हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. अतीक और अशरफ पर उस समय गोली चलाई गई, जब पुलिस दोनों का मेडिकल टेस्ट कराने के लिए प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल पहुंची थी. हादसे के बाद पुलिस ने तीनों हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है. बता दें कि दो दिन पहले ही अतीक अहमद के बेटे असद  अहमद की झांसी पुलिस मुठभेड़ में मौत (Asad Ahmed Encounter) हो गई थी.


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अपराध में शामिल है अतीक का पूरा परिवार


अतीक अहमद (Atique Ahmed) का पूरा परिवार अपराध की दुनिया में शामिल है. अतीक अहमद की पत्नी का नाम शाइस्ता परवीन है, जो इस समय फरार है. शाइस्ता पर उमेश पाल और उनके दो सिक्योरिटी गार्ड की हत्या की साजिश और शूटर्स को पैसे देने का आरोप है. अतीक का सबसे बड़ा बेटे उमर अहमद लखनऊ की जेल में बंद है, तो दूसरा बेटा अली नैनी जेल में है. तीसरा बेटा असद पुलिस एनकाउंटर में मारा जा चुका है. अतीक के दो नाबालिग बेटे आजम और अबान को उमेश पाल की हत्या के बाद पुलिस ने बाल सुधार गृह भेज दिया था. वहीं, अतीक अहमद का बहनोई भी जेल में बंद है.


अतीक ने 17 की उम्र में अपराध की दुनिया में रखा कदम


10 अगस्त 1962 को प्रयागराज में जन्मे अतीक अहमद (Atique Ahmed) ने सिर्फ 17 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, अतीक के पिता फिरोज अहमद इलाहाबाद स्टेशन पर तांगा चलाते थे और मुश्किल से अपने परिवार को पालते थे. हालांकि, इसके बाद भी वह अतीक को पढ़ाना चाहते थे, लेकिन 10वीं में फेल होने के बाद अतीक अहमद ने पढ़ाई छोड़ दी. पढ़ाई छोड़ने के बाद अतीक ने जल्द अमीर बनने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रख दिया.


1979 में अपराध की दुनिया में रखा कदम


माफिया डॉन से राजनेता बने अतीक अहमद (Atique Ahmed) ने साल 1979 में अपराध की दुनिया में कदम रखा और उसने सिर्फ 17 साल की उम्र में एक हत्या को अंजाम दिया था. तब शहर में माफिया डॉन चांद बाबा (Chand Baba) का खौफ था और अतीक से उसके संबंधों की कई कहानियां हैं. कुछ लोग चांद बाबा को अतीक का गुरु कहते हैं तो कुछ उसका दोस्त बताते हैं. साल 1984 से 1989 तक चांद बाबा का आतंक चरम पर था, लेकिन 6 नवंबर 1989 को एक गैंगवार में मारा गया. रिपोर्ट्स के अनसुार, इस हत्या के पीछे अतीक अहमद का ही हाथ था.


अतीक अहमद (Atique Ahmed) ने चांद बाबा की हत्या कर अपने अपराध साम्राज्य की नींव रखी. इसके बाद अतीक चांद बाबा से भी ज्यादा खरतनाक हो गया और लगातार उसका नेटवर्क बढ़ता गया. इसके बाद अतीक ने प्रयागराज (इलाहाबाद), फूलपुर और चित्रकूट में तीन दशक तक अपना गिरोह चलाया. राज्य पुलिस मुख्यालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अतीक के खिलाफ हत्या, लूट, रंगदारी और अपहरण समेत 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 54 मामले राज्य की विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं. योगी आदित्यनाथ सरकार में गैंगस्टर्स के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे अभियान में गैंगस्टर एक्ट के तहत अतीक और उसके परिवार के सदस्यों की 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई है.


अतीक अहमद ने 1989 में राजनीति में रखा कदम


अपराध की दुनिया में अपना पर्चा लहराने के बाद अतीक अहमद (Atique Ahmed) को समझ आ गया था कि उसे कानून से बचने के लिए सियासत काम आ सकती है और इसके लिए उसने साल 1989 में इलाहाबाद पश्चिम सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का पर्चा भर दिया. चुनाव में अतीक के सामने चांद बाबा था. 6 दिसंबर 1989 को गैंगवार में चांद बाबा की मौत हुई और अगले दिन चुनाव परिणाम में अतीक ने बड़ी जीत दर्ज की. अतीक को 25909 वोटों से जीत हासिल की, जबकि चांद बाबा को सिर्फ 9221 वोट ही मिले थे. इसके बाद अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम सीट से दो बार (साल 1991 और 1993) में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की.


इसके बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने साल 1996 में अतीक अहमद (Atique Ahmed) को टिकट दिया और अतीक ने फिर जीत हासिल की. हालांकि, जब साल 1998 में सपा ने अतीक को बाहर का रास्ता दिखाया तो वह 1999 में अपना दल (एडी) में शामिल हो गया और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया. साल 2002 के विधानसभा चुनाव में फिर से अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम सीट से अपना दल के टिकट पर जीत हासिल की. हालांकि, 2003 में फिर अतीक अहमद की सपा में वापसी हुई और 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में उसने फूलपुर सीट से जीत दर्ज की.


ऐसे शुरू हुआ अतीक अहमद का अंत


अतीक अहमद (Atique Ahmed) के फूलपुर से सांसद चुने जाने के बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर नवंबर 2004 में उपचुनाव हुआ और इस चुनाव में अतीक ने अपने भाई अशरफ अहमद (Ashraf Ahmed) को उतार दिया, लेकिन बसपा उम्मीदवार राजू पाल ने हरा दिया. हार से बौखलाए अतीक ने 25 जनवरी 2004 को घूमनगंज में राजू पाल की गोली मारकर हत्या करा दी. राजू पाल की हत्या (Raju Pal Murder) के बाद तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल (Umesh Pal) ने पुलिस को बताया था कि वह हत्याकांड का चश्मदीद गवाह है.


इसके बाद उमेश पाल (Umesh Pal) ने आरोप लगाया कि जब उसने अतीक अहमद (Atique Ahmed) के दबाव में मामले में पीछे हटने से इनकार कर दिया, तो 28 फरवरी 2006 को बंदूक के बल पर उनका अपहरण किया गया. मामले में 5 जुलाई 2007 को अतीक अहमद, उसके भाई और चार अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिस मामले में 28 मार्च 2023 को प्रयागराज की एमपी/एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बता दें कि 24 फरवरी, 2023 को उमेश पाल की उनके प्रयागराज स्थित घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.


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