नई दिल्ली: आतंकवादियों के ठिकाने पर स्पाइस 2000 रिलीज़ करने के बाद मेरे दिमाग मे केवल एक बात थी कि दुश्मन के फाइटर के आने से पहले वापस अपनी सीमा में लौटना है. बालाकोट स्ट्राइक में शामिल रहे एक पायलट ने ज़ी न्यूज़ से अपनी यादों को साझा करते हुए बताया, "हमें जाते समय एक मिनट से भी कम समय लगा था और वापसी में उससे भी कम. पूरा ऑपरेशन डेढ़ मिनट में खत्म हो गया था." 


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पुलवामा हमले के बाद से ही सारा ग्वालियर एयरबेस अलर्ट पर था, लेकिन हमले से कुछ दिन पहले ये समझ मे आ गया कि ग्वालियर में तैनात स्क्वाड्रन किसी बड़े रोल के लिए चुनी गई हैं. "हमले से दो दिन पहले टार्गेट के को-ऑर्डिनेट आ गए थे और मिराज के सिस्टम्स को तैयार किया जाने लगा था, पर पूरी बातें बहुत कम लोगों को पता थी. 25 फ़रवरी की शाम हमने अपने घर वालों को केवल इतना बताया कि आज रात हमें TD यानि अस्थायी ड्यूटी पर जाना है. हमने सुबह 2 बजे के आसपास टेक ऑफ शरू किए, दुश्मन की आंखों मे धूल झोंकने के लिए हमने एक लंबा रास्ता चुना. 4.30 बजे तक हम सब सुरक्षित वापस अपने बेस आ चुके थे, हमने अपना टार्गेट पूरा किया और वो भी बिना किसी नुकसान के". 


बालाकोट हमले में शामिल एक पायलट ने बताया. सुबह होते ही न केवल भारत और पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया मे सनसनी फैल गयी थी. भारत ने पाकिस्तान की सीमा के अंदर घुसकर वार किया था. अगले दिन पाकिस्तान ने भारत के सैनिक ठिकानों पर नाकामयाब हमला किया और इस कोशिश में अपना एक एफ-16 फाइटर जेट खो दिया. पाकिस्तान के शहरों में हफ्तों तक ब्लैक आउट रहा और पाकिस्तान का एयरस्पेस अब तक पूरी तौर पर नहीं खुला है. दोनों न्यूक्लियर ताकत वाले देश युद्ध की कगार तक पहुंच गए, लेकिन इस हमले के हीरो की मानसिक स्थिति उस समय क्या थी?" 


 



हम लगभग दो दिन से सोये नहीं थे. सीधे घर गए और गहरी नींद सो गए. दूसरे दिन तक हमले और मिराज जेट्स ही हर तरफ चर्चा में थे. परिचितों के फ़ोन आ रहे थे, इसलिए हमने फ़ोन स्विच ऑफ़ कर लिए." एक पायलट ने बताया. 1971 के बाद किसी दूसरे देश की सीमा में जाकर पहली बार वायुसेना ने हमले किए थे. वायुसेना और मिराज स्क्वाड्रन ने इतिहास रच दिया था. कैसा लगता है ये सोचकर कि आप उस टीम का हिसा थे? " केवल एक शब्द, गर्व..अपनी स्क्वाड्रन पर, अपनी एयरफोर्स पर."