बेरूत : बेरूत (Beirut) के बंदरगाह (Port) पर मंगलवार को जिन हजारों टन रसायनों में बड़े पैमाने पर विस्फोट हुआ और तबाही मची. उसे कई दशकों से भ्रष्टाचार करके वहां पर रखा गया था. इसी का दुष्परिणाम रहा कि मध्य पूर्व एशिया के इस देश को अरबों डॉलर के नुकसान के साथ ही एक बड़ी मानव त्रासदी की ओर धकेल दिया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस घटना के बाद लेबनान में लोग सहमे हुए हैं क्योंकि वे इस घटना के बाद गरीबी और निराशा का दुष्चक्र नजदीक आते हुए देख रहे हैं. फिलहाल यह देखा जाना बाकी है कि लोगों का यह गुस्सा लेबनान में भ्रष्टाचार और राजनीतिक वर्ग को जिम्मेदार बना पाने में कामयाब होगा या नहीं. लेकिन इस घटना से लेबनान में एक चिंगारी उठ खड़ी होना तय माना जा रहा है. 


लेबनान में कई सरदार और मिलिशिया कमांडर 1975-90 तक चले गृह युद्ध के बाद से ही लगातार सत्ता में हुए हैं. वे देश में सांप्रदायिक आधार पर सीट बंटवारे के कानून की वजह से अपने- अपने इलाके में मजबूत स्थिति बनाए हुए हैं और आसानी से एक से दूसरे चुनावों में जीतते चले आ रहे हैं. 
 
लेबनान के लोग इससे पहले भी कई बार देश में राजनीतिक सुधारों की मांग को लेकर सड़कों पर उतर चुके हैं. करीब 15 साल पहले वे तब सड़कों पर उतरे थी. जब तत्कालीन प्रधानमंत्री रफीक हरीरी का ट्रक बम विस्फोट में मर्डर कर दिया गया था. इसके बाद लोग वर्ष 2014 में अरब स्ट्रिंग के दौरान सड़को पर उतरे. उसके बाद अक्टूबर 2019 में लोगों ने सड़कों पर उतरकर आवाज उठाई. लेकिन हर बार लेबनान की राजनीतिक पार्टियों ने शिया, सुन्नी और ईसाई संप्रदाय के आधार पर उनके प्रदर्शनों को हाईजैक कर लिया और जनता का आंदोलन दबता चला गया. 


लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में मध्य पूर्व के देशों की राजनीति पढ़ाने वाले प्रोफेसर फवाज गर्ज्स ने कहा कि लेबनान में नेताओं के निहित स्वार्थ गहराई के साथ सिस्टम में घुसे हुए हैं. कई लोग कहते हैं कि वहां के कुलीन वर्ग के लोग समय के साथ अपने आप को बदल रहे हैं. लेकिन यह सिवाय भ्रम के कुछ नहीं है. 


मंगलवार को बेरूत में हुआ भीषण विस्फोट 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट में आग की वजह से हुआ था. इस अमोनियम नाइट्रेट को 6 वर्षों तक समुद्र के किनारे एक गोदाम में इकट्ठा किया गया था. इस गोदाम और उसमें भरे अमोनियम नाइट्रेट के बारे में बंदरगाह अधिकारियों, राजनेताओं, पुलिस और जजों को पूरी जानकारी थी. फिर भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए. इस घटना में अब तक 135 से अधिक लोग मारे गए हैं और 5,000 से ज्यादा घायल हुए हैं. कई लोग अभी भी लापता हैं और लगभग दस लाख लोगों के घरों से छत छिन गई है. 


इस दर्दनाक घटना के बाद से पूरा देश शोक में है. आम लोगों में एक सामूहिक भावना ने जोर पकड़ लिया है कि इस बार घटना के नेताओं को अपराध और संपत्ति के नुकसान के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. घटना के बाद गुरुवार को बेरूत के लोगों ने इस आपदा के पैमाने को महसूस किया. लोगों ने गुस्से में जगह जगह प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया. किसी ने पुतला बनाकर दोषियों को फांसी पर लटकाया तो किसी ने सड़कों पर मलबे में दबी कार का चित्र उकेरा.


इसी बीच गुरुवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रां लेबनान के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए बेरूत पहुंचे. लेबनान फ्रांस का पूर्व उपनिवेश भी रहा है. इमैन्युअल मैक्रां घटना वाली जगह पर गए और उसके बाद पड़ोस के कुछ प्रभावित लोगों से बात की. गुस्से और गम से भरे लोगों ने मैक्रां से अपने नेताओं से छुटकारा दिलाए जाने की मांग की. मैक्रां ने स्पष्ट किया कि वे वहां लेबनान के नेताओं का समर्थन करने नहीं आए हैं. इस संकट में जो भी मदद संभव होगी, वह सीधे लेबनान की जनता को दी जाएगी. उन्होंने कहा कि जब लेबनानी नेता सिस्टम में जरूरी सुधार नहीं करेंगे, तब तक उन्हें कोई भी आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी. 


इसके बाद मैक्रां ने लेबनानी नेताओं के साथ बैठक करके सभी क्षेत्रों में तुरंत और विस्तृत बदलाव किए जाने पर बल दिया. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कोरोना वायरस और आर्थिक तंगी की वजह से दिवालिये के कगार पर पहुंच चुका लेबनान इन कामों को कैसे कर पाएगा. लेबनान में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन की वजह से गंभीर बिजली संकट है. जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं और लोगों की खाद्यान्न तक की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है.  


माना जा रहा है कि पहले से संकट में चल रहे लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब की स्थिति इससे ओर कमजोर होगी. उन्होंने जनवरी में सत्ता में आने के बाद से किसी भी महत्वपूर्ण सुधार को लागू करने के लिए संघर्ष नहीं किया है. इसकी वजह ये है कि लेबनान में कोई भी राजनीतिक पार्टी सुधार करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहती. पीएम हसन ने बेरूत घटनी की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है, जो अगले कुछ दिनों में उन्हें रिपोर्ट पेश करेगी. लेकिन माना जा रहा है कि यह समिति केवल दिखावे के लिए है और किसी भी बड़े व्यक्ति को दंडित नहीं किया जाएगा. 


बेरूत में एक ब्रोकरेज फर्म चलाने वाले टोनी सवाया ने कहा कि लेबनान में 15 सालों तक चले गृह युद्ध में जितना विनाश हुआ था. उतना नुकसान अकेले बेरूत में 10 सेकंड तक हुए विस्फोट ने कर दिया. टोनी ने कहा कि लेबनान में कुछ भी बदलने वाला नहीं है. नेताओं का यह गोरखधंधा पहले की तरह आगे भी चलता रहेगा. सभी भ्रष्ट नेताओं ने अपने अपने समुदायों में गुट बना रखे हैं, जो उन्हें देश और देश के बाहर सपोर्ट करते रहते हैं. 


LIVE TV