अहमदाबाद : सामान्य तौर पर मंदिर के लाभार्थ गौसेवा या निराधार लोगों के लिए किसी स्कूल आश्रम या समाज के हित के काम के लिए भागवत सप्ताह का आयोजन किया जाता है. लेकिन गुजरात के मोरबी में जेल में बंद कैदियों की मानसिकता में बदलाव लाने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए भगवत कथा का आयोजन किया गया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जेल में भगवत कथा का आयोजन
जेल में ही कैदी भगवत कथा का रसपान कर रहे है. बता दें कि ज्यादातर भगवत कथा का आयोजन किसी मंदिर में होता है या किसी पार्टी प्लाट में या आश्रम के प्रांगण में होता है. यहां तक की गुजरात में शमशान घाट में भी कथा का आयोजन किया जा चुका है, लेकिन एक बार और एक अनोखी कथा का आयोजन मोरबी जिले की सबजेल में किया गया है. यहां पर किसी न किसी गुनाह में सजा काट रहे कैदियों को उनके द्वारा किये गए गलत कर्मो की सजा पूरी करने के बाद जब बाहर निकले तो उनकी जीवन शैली में सुधार आये इस तरह की कोशिश की गई. 



भागवत कथा के दौरान आने वाले अलग-अलग धार्मिक प्रसंग कैदियों द्वारा जेल प्रशासन के साथ मिलकर धूमधाम से मनाए जा रहे है. यहां एक बात उल्लेखनीय है की जेल में जेल में जाने वाले कैदी को सामान्य लोग अलग है नजर से देखते है. लेकिन यहां कैदियों को भागवत कथा और अन्य प्रोग्राम के द्वारा यह अहसास दिलाया जाता है की वो भी सामान्य नागरिक ही है अगर वो सामान्य जिंदगी अपनाना चाहे तो यहां से अपने कर्मो की सजा को पूरा करने के बाद समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकते है. और उन्हें किसी भी तरह की हीन भावना नहीं आये की वो सामाजिक ढांचे से अलग-थलग हो चुके है. 



डीजीपी ने दी कथा के लिए खास मंजूरी
जेल में उन्हें सामान्य नागरिक बनाए जाने की हर कोशिश कि जाती है. जेल में हो रही भगवत कथा की खास बात यह भी है की यहां भागवत कथा वाचन करने वाले महाराज इस कथा का वाचन करने के लिए एक रुपया भी नहीं ले रहे है. इन कैदियों के लिए यह कथा वाचन पूरी तरह से निशुल्क किया जा रहा है. जेल में भागवत कथा के आयोजन के लिए राज्य के डीजीपी मोहन झा की तरफ से खास मंजूरी दी गई है और कैदियों के जीवन में सुधार हो इस लिए जेल प्रशासन ने भी अपनी तरफ से हर तरह की कोशिश की है.