नई दिल्ली: नार्थ ईस्ट में नागरिकता संशोधन विधेयक का बड़े पैमाने पर विरोध बढ़ता जा रहा है. अब भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध के चलते हाल ही मिले अपने पिता को भारत रत्न सम्मान लौटाने का निर्णय लिया है.  भूपेन हजारिका को 25 जनवरी को ही मोदी सरकार ने सबसे बड़े पुरस्कार से नवाजने का ऐलान किया था.


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वहीं इस निर्णय पर भूपेन हजारिका के परिवार में ही एक राय नहीं दिख रही है. भूपेन हजारिका के बड़े भाई समर हजारिका ने कहा कि, भारत रत्न सम्मान वापस करने का फैसला उनके बेटे का हो सकता है लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं. समर ने आगे कहा कि, मुझे लगता है, भूपेन को इस सम्मान को मिलने में वैसे ही देर हो गई है. अब तो तेज हजारिका को भारत रत्न का सम्मान करते हुए सम्मान स्वीकार कर लेना चाहिए. 



आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि पूर्व राष्‍ट्रपत‍ि प्रणब मुखर्जी, आरएसएस के प्रचारक और जनसंघ के व‍र‍िष्‍ठ नेता नानाजी देशमुख एवं संगीतकार भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया जाएगा. भूपेन हजारिका पूर्वोत्तर राज्य असम से ताल्लुक रखते थे. अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे. उनहोने फिल्म 'गांधी टू हिटलर' में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन 'वैष्णव जन' गाया था.  उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.


इससे पहले नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में मणिपुर के जाने माने फिल्मकार और कंपोजर अरिबम श्याम शर्मा ने 2006 में प्राप्त पद्म श्री को वापस कर दिया था. सम्मान वापस करते समय फिल्मकार अरिबम ने सम्मान वापस करते समय कहा था कि, मणिपुर वासियों को इस वक्त सबसे अधिक सुरक्षा की जरूरत है. जहां एक तरफ लोकसभा में 500 से अधिक सदस्य हैं. वहीं सिर्फ एक या दो सदस्य ही लोकसभा में मणिपुर की तरफ से हैं. उत्तर पूर्वी हिस्से की आवाज सदन में नहीं पहुंचती. यहां के लोगों के लिए अधिक सुरक्षा और व्यवस्था की जरूरत है.


क्या है नागरिकता संशोधन बिल 
नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी के बाद ही असम में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है. प्रस्तावित विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. असम के लोगों को मानना है कि नागरिकता संशोधन बिल 2016 को कैबिनेट की मिली स्वीकृति के बाद असम की संस्कृति और असमिया अस्तित्व खत्म हो जाएगा.


विरोधियों का कहना है कि इस विधेयक की वजह से कि इसका संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की भौगोलिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ेगा. और विधेयक के प्रावधान से 1985 का असम समझौता खत्म हो जाएगा . जिसमें मार्च 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले सभी अवैध प्रवासियों को वापस भेजे जाने का प्रावधान है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.