पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) को लेकर चुनावी मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दल राज्य की सत्ता तक पहुंचने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हैं. सभी पार्टियों की चाहत सत्ता में भागीदारी की है. चुनाव को लेकर पार्टी हो या गठबंधन अपने नेता या मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रख चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. कई मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी तो खुद चुनावी मैदान में योद्धा भी बने हैं. इस चुनाव में जहां सत्ता तक पुहंचने के लिए विभिन्न पार्टियों ने चार अलग-अलग गठबंधन बनाकर चुनावी मैदान में हैं वहीं बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए छह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हैं. 


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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एक बार फिर एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा हैं वहीं आरजेडी नेतृत्व वाले विपक्षी दल के महागठबंधन आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को मुख्यमंत्री बनाने के दावे के साथ चुनावी मैदान में है. तेजस्वी खुद राघोपुर से चुनावी मैदान में उतरे हैं. 


पिछले चुनाव के मुकाबले बदलीं सियासी परिसिथतियां
पिछले चुनाव से राज्य की सियासी परिसिथतियां भी बदली हैं. पिछली बार 2015 में विधानसभा चुनाव के जेडीयू और आरजेडी ने साथ महागठबंधन बनाकर जब चुनाव लड़ा था तब महागठबंधन की ओर से नीतीश कुमार का चेहरा मुख्यमंत्री के लिए सामने रखा गया था, जबकि एनडीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ चुनाव लड़ा और चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री तय करने की बात कही थी. इस चुनाव में एक बार फिर बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं और मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार हैं. वैसे, इस चुनाव में नीतीश के रास्ते इतने आसान नहीं है.  


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चुनाव में मुख्यमंत्री के छह चेहरे
तेजस्वी और नीतीश के अलावे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी), बसपा के साथ छह दलों का गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया है. इधर, जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव को प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनावी मैदान में जोर लगाए हुए है. 


लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अपने अध्यक्ष चिराग पासवान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है, हालांकि चिराग ने अब तक खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया है. वैसे, एलजेपी इस चुनाव में अकेले 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात करते हए आर-पार की लड़ाई लड़ रही है. 


इधर, इस चुनाव में प्लुरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी भी खुद को मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित कर चुनावी मैदान में है. पुष्पम प्रिया चौधरी ने स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित करते हुए खुद को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर रखा है. बहरहाल, सभी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए चुनावी मैदान में खूब पसीना बहा रहे हैं लेकिन इस लोकतंत्र में जनता किनके कामों और चेहरे पर मुहर लगाती है, यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा जब चुनाव परिणाम आएंगे.